Margshirsha Amavasya 2025: कल या परसों कब मनाई जाएगी मार्गशीर्ष अमावस्या? जान लें सही तारीख.. वरना ज़रा सी चूक न कर दे आपको पुण्य से वंचित!

वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष अमावस्या पर बन रहा है "शोभन योग" का शुभ संयोग। शास्त्रानुसार कहते हैं कि "शोभन योग" में किया गया एक भी दान, एक भी तर्पण, एक भी दीपक सौ गुना फल प्रदान करता है। आईये जानतें हैं 19 यां 20 नवंबर, कब मनाई जाएगी मार्गशीर्ष अमावस्या..

Margshirsha Amavasya 2025: कल या परसों कब मनाई जाएगी मार्गशीर्ष अमावस्या? जान लें सही तारीख.. वरना ज़रा सी चूक न कर दे आपको पुण्य से वंचित!

Margshirsha Amavasya 2025/Image Source: IBC24

Modified Date: November 18, 2025 / 02:15 pm IST
Published Date: November 18, 2025 2:15 pm IST
HIGHLIGHTS
  • मार्गशीर्ष अमावस्या 2025: शोभन योग में पितृ कृपा और धन वर्षा का महासंयोग!
  • "मार्गशीर्ष अमावस्या पर तर्पण-दान से बदलें अपना भाग्य"!

Margshirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या को ‘अगहन अमावस्या’ भी कहते हैं और पितरों को प्रसन्न करने के लिए, ये अमावस्या अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस मास का नाम पूर्णिमा के दिन मृगशिरा नक्षत्र के संयोग के कारण पड़ा है। अगहन माह, भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा के लिए अति शुभ माना जाता है। हर अमावस्या पितरों की स्मृति में होती है, पर मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन पितृ पूजा के लिए एक विशेष और पवित्र अवसर है।

Margshirsha Amavasya 2025: कल यां परसों कब है मार्गशीर्ष अमावस्या?

मार्गशीर्ष अमावस्या कल (19 नवंबर) नहीं, बल्कि परसों (20 नवंबर 2025, गुरुवार) को मनाई जाएगी। हिन्दू पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि 19 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 20 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 20 नवंबर को ही मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।

Margshirsha Amavasya 2025: इस दिन बनने वाले शुभ योग!

वर्ष 2025 में, 20 नवंबर 2025 की मार्गशीर्ष अमावस्या पर “शोभन योग” के प्रभाव से यह दिन पितृ कृपा और धन-वृद्धि का स्वर्णिम अवसर बनेगा, जो सुबह 9:51 बजे से प्रारंभ होगा और अगले दिन सुबह तक प्रभावी रहेगा। यह योग पितृ तर्पण और दान-पुण्य को अक्षय फल प्रदान करता है। इस योग में किए गए कर्म सौ गुना फलदायी होंगे और ये योग पितृ कार्यों और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कुछ हिन्दू पंचांगों में इस दिन “अमृत सिद्धि योग” का स्पर्श भी शाम 4:45 बजे से रात्रि तक बताया गया है, जो दान के फल को और ज़्यादा बढ़ाता है।

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Margshirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्त्व

यह महीना, जो मृगशिरा नक्षत्र से जुड़ा है, भक्ति और साधना के लिए समर्पित है। मार्गशीर्ष मास को सभी महीनों में श्रेष्ठ माना गया है जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में अपना स्वरूप बताया है (“मासानां मार्गशीर्षोऽहम्”)। इसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा “सर्वश्रेष्ठ मास” घोषित किया गया। मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए तर्पण-दान करने से पितृदोष, राहु-केतु पीड़ा और कालसर्प दोष का निवारण होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन काले तिल का दान करने से 100 सोमवती अमावस्याओं का पुण्य प्राप्त होता है।
इस महीने में किया गया दान, स्नान और जप-तप से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त (स्नान-पूजा के लिए): सुबह 5:01 से 5:54 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त (तर्पण-दान के लिए सर्वोत्तम): दोपहर 11:42 से 12:25 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त (दीपदान के लिए): शाम 5:27 से 5:53 बजे तक।

स्नान-दान-पुजा की आसान विधि

ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 5:01 बजे तिल-गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें। सूर्य को अर्घ्य देते हुए (“ॐ सूर्याय नमः”) मंत्र का जाप करें। काले तिल, कंबल, उड़द दाल, गुड़ और वस्त्र दान करें। गाय, कौवे को भोजन दें। (तर्पण-दान के लिए सर्वोत्तम) अभिजीत मुहूर्त में कुशा घास से तर्पण करें साथ ही (“ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः”) मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्रनाम पाठ करें और गोधूलि मुहूर्त अर्थात संध्या समय उत्तर दिशा में तिल तेल का दीपक जलाएं।

Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.