Chaitra Navratri 1st Day : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की होगी पूजा, राजधानी रायपुर के मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

Chaitra Navratri 1st Day : नवरात्री के पहले दिन घट स्थापना के साथ ही चैत्र नवरात्री की शुरुआत हो जाती है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर

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  • Publish Date - April 9, 2024 / 07:10 AM IST,
    Updated On - April 9, 2024 / 07:10 AM IST

Chaitra Navratri 1st Day

रायपुर : Chaitra Navratri 1st Day : नवरात्री के पहले दिन घट स्थापना के साथ ही चैत्र नवरात्री की शुरुआत हो जाती है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि पर 30 साल के बाद सर्वार्थअमृत सिद्धि योग बनने जा रहा है, जो अत्यंत शुभकारी है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना करने से सभी कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 9 अप्रैल को रात्रि 9 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसलिए 9 अप्रैल को घटस्थापना है।

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Chaitra Navratri 1st Day :  देश भर के के मंदिरों के साथ साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी चैत्र नवरात्री का पर्व बड़ी धूम धाम से बनाया जाता है। राजधानी रायपुर के महामाया मंदिर, काली मंदिर समेत अन्य मंदिरों में पूरे 9 दिनों तक आदिशक्ति की विशेष आराधना की जाती है। इसके साथ ही नवरात्री के 9 दिनों तक माता रानी का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। रायपुर के कई देवी मंदिरों में सुबह से भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। भक्त भोर होते ही माता रानी के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06:12 से 10:23 तक
अवधि – 04 घण्टे 11 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12:03 से 12:53
अवधि – 50 मिनट

नवरात्रि घटस्थापना पूजा सामग्री

चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन कलश
सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
पवित्र स्थान की मिट्टी
गंगाजल
कलावा/मौली
आम या अशोक के पत्ते
छिलके/जटा वाला
नारियल
सुपारी अक्षत (कच्चा साबुत चावल), पुष्प और पुष्पमाला
लाल कपड़ा
मिठाई
सिंदूर
दूर्वा

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आज होगी मां शैलपुत्री की पूजा

Chaitra Navratri 1st Day :  अर्चना की जाती है। मां शैलपुत्री सौभाग्य की देवी हैं। उनकी पूजा से सभी सुख प्राप्त होते हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ, इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। मां को वृषारूढ़ा, उमा नाम से भी जाना जाता है। उपनिषदों में मां को हेमवती भी कहा गया है।

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