Nahay Khay 2025: आज नहाए-खाए, जानिए सही समय, पूजा विधि और इसके पीछे का धार्मिक महत्व

नहाए-खाए छठ पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। इस साल यह 25 अक्टूबर 2025 यानी आज शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन सही मुहूर्त में स्नान करना, सूर्य भगवान की पूजा करना और व्रत के अनुसार खानपान करना शुभ माना जाता है।

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  • Publish Date - October 25, 2025 / 11:42 AM IST,
    Updated On - October 25, 2025 / 11:49 AM IST

(Nahay Khay 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)

HIGHLIGHTS
  • छठ महापर्व 25 अक्टूबर 2025, शनिवार से शुरू।
  • नहाए-खाए छठ का पहला दिन, शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक।
  • प्रसाद ग्रहण का शुभ समय: सुबह 11:43 से 12:27 बजे।

Nahay Khay 2025: छठ महापर्व आज शनिवार यानी 25 अक्टूबर 2025 से शुरू हो गया है और यह 28 अक्टूबर मंगलवार को समाप्त होगा। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का प्रतीक है। महिलाएं व्रत संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार की रक्षा के लिए रखती हैं। शास्त्रों के मुताबिक, कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होतें हैं, इसलिए सूर्यदेव की विशेष पूजा का विधान है। छठी मैया को परिवार, संतान और समृद्धि की देवी माना जाता है।

छठ महापर्व का पहला दिन

नहाए-खाए छठ का पहला दिन होता है। इस दिन व्रती प्रातःकाल पवित्र जलाशय, नदी या तालाब में स्नान करके अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं। स्नान के बाद साफ और सादा वस्त्र पहनकर रसोई और पूजा स्थल को पूरी तरह स्वच्छ किया जाता है।

नहाय-खाय की विधि

  • व्रती इस दिन केवल एक बार भोजन करते हैं, जिसे ‘नहाय-खाय का प्रसाद’ कहा जाता है।
  • भोजन कांसे या पीतल के बर्तन में और मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है।
  • खाना बनाने के लिए आम की लकड़ी या गोबर के उपले का प्रयोग होता है।
  • आमतौर पर भोजन में कद्दू की सब्जी, चने की दाल और सादा चावल शामिल होते हैं।
  • नहाय-खाय के दिन व्रती छठ व्रत का संकल्प लेते हैं और आने वाले तीन दिनों तक शुद्धता और संयम का पालन करते हैं।

नहाय-खाय के दिन प्रसाद ग्रहण करने का समय

आज छठ महापर्व की शुरुआत नहाए खाए से हो चुकी है। नहाए खाए के दिन प्रसाद ग्रहण करने का शुभ समय सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है।

  • गुलिक काल सुबह 6:28 बजे से 7:52 बजे तक।
  • राहुकाल का समय 9:16 बजे से 10:40 बजे तक।
  • यमघंटाकाल का समय दोपहर 1:29 बजे से 2:53।

नहाए खाए के दिन राहुकाल और यमघंटाकाल के दौरान प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए।

छठ का दूसरा दिन

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना व्रत या लोहंडा व्रत कहलाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन बिना अन्न और जल के उपवास रखते हैं। शाम को विशेष विधि से प्रसाद बनाकर छठी मैया को अर्पित किया जाता है।

तीसरा दिन

तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य या संध्या घाट पूजा कहा जाता है। इस दिन व्रती सूर्यास्त के समय अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह दिन छठ महापर्व का सबसे भव्य और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

अंतिम और पावन दिन

छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन ‘सूर्योदय अर्घ्य’ या ‘भोर अर्घ्य’होता है। व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन करते हैं। इस दिन की पूजा से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति की कामना की जाती है।

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छठ महापर्व कब शुरू और खत्म होगा?

छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025, शनिवार से शुरू होकर 28 अक्टूबर 2025, मंगलवार को समाप्त होगी।

नहाए-खाए का महत्व और समय क्या है?

नहाए-खाए छठ का पहला दिन है। इस दिन व्रती प्रातःकाल पवित्र जलाशय में स्नान करके अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं। इस साल प्रसाद ग्रहण करने का शुभ समय सुबह 11:43 से 12:27 तक है।

नहाए-खाए के दौरान कौन सा भोजन बनता है?

भोजन में कद्दू की सब्जी, चने की दाल और सादा चावल बनता है। इसे कांसे या पीतल के बर्तन और मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है।

खरना व्रत क्या है?

छठ का दूसरा दिन खरना व्रत होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को विशेष प्रसाद छठी मैया को अर्पित करते हैं।