Navratri 2025 3rd Day: नवरात्री के तीसरे दिन करें शांति और शक्ति की देवी माँ चंद्रघंटा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा एवं आरती!

माँ चंद्रघंटा को राक्षसों का संहार करने वाली योद्धा माना जाता है। उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में साहस, आत्मविश्वास और शांति प्राप्त होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी आराधना करने से मणिपुर चक्र जागृत होता है, जो भौतिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

Navratri 2025 3rd Day: नवरात्री के तीसरे दिन करें शांति और शक्ति की देवी माँ चंद्रघंटा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा एवं आरती!

Navratri 2025 3rd day

Modified Date: September 23, 2025 / 06:21 pm IST
Published Date: September 23, 2025 6:21 pm IST
HIGHLIGHTS
  • 24 सितंबर 2025: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से पाएं शक्ति, शांति और चमत्कार!

Navratri 2025 3rd Day: नवरात्रि का पावन पर्व भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि 2025 में तीसरा दिन 24 सितंबर (बुधवार) को माँ दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। माँ चंद्रघंटा शक्ति, शांति और समृद्धि की देवी हैं। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार का घंटा होने से उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा है। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति, साहस और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

Maa Durga Kavach : नवरात्री पर जरूर पढ़ें एक ऐसा गोपनीय रक्षा कवच जो हर स्थिति में करता है रक्षा,, बाँह थामे लगाता है नैय्या पार

माँ चंद्रघंटा का स्वरूप
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और अलौकिक है। उनका शरीर सोने के समान चमकीला है, और वे सिंह पर सवार रहती हैं। उनके दस हाथ हैं, जिनमें खड्ग, गदा, त्रिशूल, चाप-बाण, कमंडलु, माला, पद्म, वर और अभय मुद्रा जैसे अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए हैं। मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है, जो शीतलता और शक्ति का प्रतीक है। वे मंजीर, हार, केयूर, किंकिणी और रत्नकुंडल से अलंकृत हैं, तथा मृदु हास्य वाली हैं। यह स्वरूप शांति और क्रोध दोनों का समावेश करता है।

 ⁠

Navratri 2025 3rd Day: शुभ मुहूर्त (24 सितंबर 2025)

नवरात्रि के तीसरे दिन यानी 24 सितंबर को पूजा के लिए सुबह 04:35 से 05:23 तक पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त रहेगा। सुबह 09:11 से 10:57 तक अमृत काल मुहूर्त रहेगा। इसके बाद दोपहर 02:14 से 02:02 तक विजय मुहूर्त रहेगा।

माँ चंद्रघंटा के मंत्र
बीज मंत्र: ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः।
मुख्य मंत्र: पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
ध्यान मंत्र: वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥ मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। खड्ग गदा त्रिशूल चापशर पद्म कमंडलु माला वराभयकाराम्॥ पटाम्बराधरां मृदुहास्यां नानाभरण भूषिताम्। मंजीर हार केयूर किंकिणी रत्नकुंडल मण्डिताम्॥
इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करें।

मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का एक शक्तिशाली रूप हैं, जो बुराई का नाश करती हैं और भक्तों को शक्ति व साहस प्रदान करती हैं। आईये जानते हैं..

Navratri 2025 3rd Day: माँ चंद्रघंटा की पौराणिक कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षसों का अत्याचार तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी, और पाताल) में बढ़ गया, तब देवताओं को असुरों से मुक्ति दिलाने के लिए माँ दुर्गा अवतरित हुईं। नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है, और तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा के रूप में उनकी आराधना की जाती है।
प्राचीन काल में महिषासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और एक वरदान प्राप्त किया कि कोई पुरुष उसे मार नहीं सकता। इस वरदान के बल पर उसने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर दिया और इंद्र सहित सभी देवताओं को परास्त कर स्वर्ग से बेदखल कर दिया। देवता निराश्रित और भयभीत हो गए, क्योंकि महिषासुर का आतंक बढ़ता जा रहा था। उनकी रक्षा के लिए कोई सामान्य शक्ति पर्याप्त नहीं थी।
तब सभी देवताओं ने त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु, और शिव – के पास जाकर प्रार्थना की। त्रिदेवों के क्रोध और तेज से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई, जो माँ दुर्गा के रूप में अवतरित हुईं। नवरात्रि के तीसरे दिन यह शक्ति माँ चंद्रघंटा के रूप में सामने आईं, जो शांति और युद्ध दोनों का प्रतीक थीं।पूजा के पश्चात् यह आरती गाएं।

Durga Saptashati Shlok : इन चमत्कारी 7 श्लोकों में छीपा है सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती पाठ का सार.. नवरात्री में इन श्लोकों के जाप से पाएं सम्पूर्ण पाठ का फल

माँ चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।


लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.