Adhik Maas 2026: नया साल, नया रहस्य! अधिमास के दुर्लभ योग ने बढ़ाई उत्सुकता, आखिर क्यों होता है ये अतिरिक्त महीना?
हिंदू कैलेंडर में हर तीन साल में एक अतिरिक्त महीना जुड़ता है, जिसे अधिक मास कहते हैं। 2026 में यह विशेष माह पड़ने वाला है। अधिमास इसलिए आता है क्योंकि चंद्र मास और सूर्य वर्ष के बीच अंतर को संतुलित करने के लिए पंचांग में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है।
(Adhik Maas 2026, Image Credit: IBC24 Archive)
- 2026 में हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में विशेष अधिमास आएगा।
- इस बार वर्ष में दो-दो ज्येष्ठ महीने होंगे-सामान्य और अधिक ज्येष्ठ।
- अधिक मास 17 मई 2026 से शुरू होकर 15 जून 2026 तक रहेगा।
Adhik Maas 2026: हिंदू धर्म में अधिक मास का स्थान अत्यंत पावन माना गया है। यह वह समय होता है जब पंचांग में आध्यात्मिक कर्मों, जप-तप और दान को विशेष फलदायक माना जाता है। इस अतिरिक्त माह को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है, और इसका उद्भव खगोलीय गणनाओं के संतुलन से जुड़ा है।
हिंदू पंचांग और नए वर्ष की शुरुआत
हिंदू व्रत-त्योहारों का निर्धारण विक्रम संवत के आधार पर किया जाता है। चैत्र से नया वर्ष शुरू होता है और फाल्गुन माह इसके समापन का संकेत देता है। वर्तमान में विक्रम संवत 2082 चल रहा है, जो होली के बाद समाप्त होगा। नए वर्ष 2083 की शुरुआत चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा से होगी और इसी नए चक्र में अधिमास का प्रवेश होगा।
2026 में आएंगे दो-दो ज्येष्ठ मास
आगामी वर्ष विक्रम संवत 2083 में अधिक मास ज्येष्ठ माह में पड़ने वाला है। इसका अर्थ है कि वर्ष 2026 में एक की जगह दो ज्येष्ठ महीने रहेंगे- एक सामान्य ज्येष्ठ और एक अधिक ज्येष्ठ। इस कारण इस बार ज्येष्ठ की अवधि लगभग 58-59 दिनों तक फैली रहेगी। अतिरिक्त माह जुड़ने से पूरे वर्ष में कुल 13 महीने होंगे, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
कब से शुरू होगा अधिक ज्येष्ठ मास?
पंचांग गणना के अनुसार, ज्येष्ठ मास 22 मई 2026 से 29 जून 2026 तक रहेगी। अधिक मास 17 मई 2026 से 15 जून 2026 तक रहेगा। इस तरह सामान्य ज्येष्ठ और अधिक ज्येष्ठ कुछ अवधि तक साथ-साथ चलते दिखाई देंगे।
अधिक मास बनने का वास्तविक कारण
सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष की गति में लगभग 11 दिनों का प्राकृतिक अंतर होता है। चंद्र मास सूर्य की तुलना में छोटा होने के कारण यह अंतर हर वर्ष बढ़ता जाता है। लगभग 32 माह, 16 दिन और कुछ घंटों में यह अंतर एक पूरे महीने के बराबर हो जाता है। इसी अतिरिक्त अवधि को संतुलित करने के लिए हिंदू पंचांग में एक पूर्ण महीना जोड़ दिया जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है। यह समय आध्यात्मिक अनुष्ठानों, साधना, दान और मनोवैज्ञानिक शांति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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