रायपुर। छत्तीसगढ़ में लगभग 250 साल से मस्जिदों में ईद की नमाज पढ़ी जा रही है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते पहली बार ईद की नमाज में समाज के लोग शामिल नहीं हो पाए। मुस्लिम समाज ने घर पर ही नमाज पढ़ी। नमाज पढ़ना अनिवार्य होने के कारण मस्जिदों में रहने वाले 5-5 लोगों ने ही नमाज पढ़ने की औपचारिकता निभाई।
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रायपुर के ईदगाह मैदान में हर साल हजारों लोग नमाज अदा करते थे, लेकिन इस बार ईदगाह मैदान में भी नमाज नहीं पढ़ी गई। बैजनाथ पारा स्थित लगभग सौ साल पुराने मदरसे में 5 से 7 लोगों ने ही नमाज पढ़ी, शहर-ए-काजी मौलाना मोहम्मद अली फारूकी के मुताबिक ईद पर सुबह 8.30 से 11.30 के बीच चाश्त की नमाज पढ़ी गई।
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ईद की नमाज और चाश्त की नमाज में अंतर यह है कि ईद की नमाज ईदगाह मैदान में पढ़ी जाती है और चाश्त की नमाज घर पर अदा की जा सकती है। ईद की नमाज में छह तकबीर ज्यादा होती है। चाश्त की नमाज में तकबीरें नहीं हुई और न ही खुतबा दिया गया।
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नमाज़ के बाद वहीं कब्रिस्तान में रिश्तेदार और दोस्तों की क्रब पर फातिहा पढ़ने की रस्म में लोग इकट्ठा नहीं हुए, मरहुमों का फातिहा भी घर में पढ़ा गया। मुस्लिम भाइय़ों ने अल्लाहपाक से भारत समेत पूरी दुनिया को कोराना महामारी से महफूज रखने की दुआ मांगी।
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