Home » Religion » Shastra Rules: क्या अज्ञानतावश आप भी भगवान को वह चीज़ें अर्पित कर रहे हैं, जो शास्त्रों में है निषेध? पाप का भागी बनने से पहले इसे पढ़ लें..: Are you unknowingly offering things to God that are forbidden in the scriptures? Read this before you become a partaker of sin..
Shastra Rules: क्या अज्ञानतावश आप भी भगवान को वह चीज़ें अर्पित कर रहे हैं, जो शास्त्रों में है निषेध? पाप का भागी बनने से पहले इसे पढ़ लें..
पूजा-पाठ, भक्ति का सबसे पवित्र माध्यम है, जिसके ज़रिये हम ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि पूजा, बाहरी रस्म से ज्यादा अपने अंतर्मन की शुद्धता है। शास्त्रों में कई वस्तुएँ देवी-देवताओं को अर्पित करना निषेध हैं। आइये आपको बताएं कि वह वस्तुएँ कौन सी हैं..
Publish Date - December 29, 2025 / 02:03 PM IST,
Updated On - December 29, 2025 / 02:11 PM IST
Shastra Rules/Image Source: IBC24
HIGHLIGHTS
क्यों हैं ये वस्तुएं देवताओं को अप्रिय? जान लें कारण
पूजा में अज्ञानतावश की जाने वाली सामान्य गलतियां, जो पूजा के फल को कम कर सकती हैं!
Shastra Rules: हिन्दू धर्म में, ईश्वर तक पहुँचने का माध्यम है “भक्ति और समर्पण”। सच्चे मन से की गयी भक्ति, कभी बेकार नहीं जाती। पूजा-पाठ, भक्ति का सबसे पवित्र माध्यम है, जिसके ज़रिये हम ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि पूजा, बाहरी रस्म से ज्यादा अपने अंतर्मन की शुद्धता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वेद, पुराण तथा अन्य शास्त्रों में साफ़ तौर पर बताया गया हैं कि क्या चीज़ें भगवान को अर्पित कर सकते हैं और क्या नहीं, किन्तु कई व्यक्ति अज्ञानता पूर्वक वह चीज़ भगवान को अर्पित कर देते हैं, जो भगवान को कतई पसंद नहीं है।
उनके इस गलत अर्पण से पूजा निष्फल हो सकती हैं या भगवान रुष्ट भी हो सकते हैं। हिन्दू धार्मिक विद्वानों के अनुसार, भगवान को अर्पित की जाने वाली वस्तुएँ सदैव साफ़-सुथरी, पवित्र और सात्विक होनी चाहिए। गलत वस्तुओं का भगवान को अर्पित करना, दोष और क्लेश का मुख्य कारण बन सकता है। आइये, उन वस्तुओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं..
Shastra Rules: वस्तु अर्पण के दौरान, ध्यान रखने योग्य बातें!
आडम्बर (दिखावा): भगवान को दिखावा पसंद नहीं है वे प्रेम, भाव के भूखे हैं, इसलिए सच्चे भाव और पवित्र मन से अर्पित की गयी हर मामूली चीज़, भगवान के लिए ख़ास हो जाती है।
पुराने मुरझाये हुए फूल: भगवान से समक्ष सदैव ताज़े और सुन्दर फूल अर्पित करने चाहिए न कि पुराने मुरझाये हुए। सूखे, बेजान फूल भगवान को बिलकुल भी पसंद नहीं हैं। मान्यता है कि सूखे, मुरझाये हुए फूलों से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और सुन्दर और ताज़े फूलों की खुशबू की तरह, घर में खुशियां महक उठती हैं।
टूटे चावल या अनाज: अक्षत (साबुत चावल), पूजा में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए भगवान को कभी भी खंडित अक्षत अर्पित न करें।
प्याज, लहसून या तामसिक भोजन: गीता पुराणों में सात्विक भोजन को ही श्रेष्ठ माना गया है किन्तु प्याज, लहसून, मांस, मदिरा आदि तामसिक गुणों की प्रवृति माने जाते हैं जो कि मन को अशांत करते हैं। पूजा में हिंसा या तामसिक भोजन का कोई स्थान नहीं है, इसलिए भगवान को सदैव शुद्ध और सात्विक भोजन का ही भोग लगाएं। ऐसी कई वस्तुएँ हैं जो हर एक भगवान पर नहीं चढ़ाई जाती हैं। आइये आपको बताएं , कौन सी वस्तु किन देवी-देवताओं पर नहीं चढ़ाई जाती और क्यों?
Shastra Rules: इन देवी- देवताओं पर ये वस्तुएं हैं निषेध!
भगवान शिव पर नहीं चढ़ती ये वस्तुएँ!
नारियल पानी: भगवान शिव पर नारियल (पूरा नारियल) चढ़ा सकते हैं किन्तु नारियल पानी नहीं.. अब आप सोचेंगे ऐसा क्यों? तो आपको बता दें कि शिव एक योगी और तपस्वी हैं जिन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग और ठंडी चीज़ें पसंद हैं और नारियल माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। नारियल पानी को तेज़ ऊर्जा से भरपूर माना जाता हैं जो भगवान भोलेनाथ के शांत और तपस्वी रूप के विपरीत है।
केतकी का फूल: यह फूल, भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता, इसे चढाने से पाप लगता है। आपको इसका कारण बता दें कि एक पौराणिक कथा के अनुसार, केतकी ने ब्रह्मा जी के साथ मिलकर शिवलिंग के शिखर को ढूँढ़ने के झूठे दावे का समर्थन किया था जिसकी वजह से भगवान शिव ने क्रोधित होकर श्राप दिया था कि उनकी पूजा में केतकी का फूल निषेध है।
सिंदूर, कुमकुम और हल्दी: यह वस्तुएं भगवान शिव पर नहीं चढ़ाई जाती हैं क्योंकि यह श्रृंगार और सांसारिक सुखों का प्रतीक हैं, जबकि भगवान शिव वैरागी, तपस्वी हैं जो इन सांसारिक बंधनों से परे हैं इसलिए सिंदूर, कुमकुम और हल्दी भगवान शिव को अर्पित नहीं की जाती।
शंख से जल और ध्वनि: भगवान शिव को शंख से जल या ध्वनि अर्पित नहीं कि जाती हैं ऐसा करने से पूजा का पुण्य नष्ट हो सकता है। आपको इसका कारण बता दें कि एक पौराणिक कथा के अनुसार, शंख की उत्पत्ति, शंखचूड़ नमक एक असुर की हड्डियों से हुई है जिसे स्वयं भगवान शिव ने भस्म किया था। इसलिए शंख को भगवान शिव की पूजा में अशुभ माना जाता है।
भगवान विष्णु और श्री कृष्ण को नहीं अर्पित करते हैं ये वस्तु !
बिल्व पत्र: भगवान विष्णु और श्री कृष्णा को तुलसी दल (Tulsi Dal) अत्यंत प्रिय है, जबकि बेलपत्र की तीन पत्तियाँ (त्रिदल), भगवान शिव के त्रिनेत्रों, त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) तथा त्रिगुण (सत्व, रज, तम) का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे शिव पूजा में चढ़ाया जाता है।
गणेश जी के पूजा में नहीं चढ़ती ये वास्तु!
तुलसी: एक पौराणिक कथा के अनुसार, तुलसी ने श्री गणेश को विवाह के प्रस्ताव को ठुकराने पर उन्हें श्राप किया था, तब भगवान श्री गणेश ने भी तुलसी को एक राक्षस से विवाह करने और अपनी पूजा में वर्जित होने का श्राप दिया था, तत्पश्चात ये एक परंपरा बन गयी और इसी कारण बप्पा की पूजा में तुलसी को वर्जित माना जाता है।
माँ दुर्गा की पूजा में निषेध है ये वास्तु!
दूर्वा (दूब घास): माँ दुर्गा को दूर्वा (दूब घास) नहीं चढ़ाई जाती और मन जाता हैं और माना जाता है कि इसे माँ दुर्गा पर अर्पित करने से पूजा सफल नहीं होती एवं माता रुष्ट हो सकती हैं। इसका मुख्य कारण है कि दूर्वा को ‘मंगल ग्रह’ से संबंधित माना जाता है जो कि पुरुषत्व ऊर्जा का प्रतीक है जबकि माता सौम्य और स्त्री शक्ति का प्रतीक है।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
1. भगवान शिव को तुलसी की पत्तियां क्यों नहीं चढ़ाई जातीं?
तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है और पौराणिक कथा के अनुसार, तुलसी (वृंदा) का पति जालंधर शिव से युद्ध में मारा गया था। इस कारण शिव को तुलसी अप्रिय है और शास्त्रों में इसे शिव पूजा में वर्जित बताया गया है।
2. शिवलिंग पर केतकी (केवड़ा) का फूल क्यों नहीं चढ़ाया जाता?
शिव पुराण के अनुसार, ब्रह्मा और विष्णु के बीच सर्वोच्चता के विवाद में केतकी फूल ने ब्रह्मा के पक्ष में झूठी गवाही दी थी। क्रोधित होकर भगवान शिव ने केतकी को अपनी पूजा से वर्जित कर दिया और श्राप दिया।
3. विष्णु या लक्ष्मी पूजा में प्याज-लहसुन क्यों नहीं चढ़ाते?
प्याज और लहसुन तामसिक भोजन माने जाते हैं, जबकि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी सात्विक प्रकृति के हैं। शास्त्रों में केवल सात्विक भोग ही स्वीकार करने का विधान है, इसलिए इनका प्रयोग पूजा में निषिद्ध है।
4. शिवलिंग पर सिंदूर या कुमकुम क्यों नहीं लगाया जाता?
भगवान शिव वैरागी और संन्यासी स्वरूप हैं। सिंदूर वैवाहिक सुख और सुहाग का प्रतीक है, जो सांसारिक जीवन से जुड़ा है। इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर लगाना अनुचित माना जाता है।
5. पूजा में चंपा और अगस्त्य फूल क्यों वर्जित हैं?
पद्म पुराण और अन्य शास्त्रों में इन फूलों को विष्णु पूजा में निषिद्ध बताया गया है। इनकी प्रकृति राजसिक या तामसिक मानी जाती है, जो सात्विक पूजा के विपरीत है। कुछ कथाओं में भी इनका नकारात्मक उल्लेख मिलता है।