Holashtak 2025
Holashtak 2025 : होलाष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ होली और अष्टक है। होलाष्टक का प्रारंभ 17 मार्च से हो रहा है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है और इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि होलाष्टक होली के आने का संकेत देता है। होली पर्व का आरम्भ होलिका दहन से आठ दिन पहले फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि को हो जाता है। इस बार होलिका दहन 24 मार्च को है। इसी दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। होलिका दहन होने तक होलाष्टक रहेगा।
Holashtak 2025 : क्यों मनाया जाता है होलाष्टक?
शास्त्रों के अनुसार, होली से आठ दिन पहले यानी अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक विष्णु भक्त प्रह्लाद को काफी यातनाएं दी गई थीं। हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को ही भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाया था। इस दौरान प्रह्लाद को जान से मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गई थीं। यातनाओं से भरे उन आठ दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई।
हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा।
Holashtak 2025 : होलाष्टक में क्यों नहीं किये जाते शुभ कार्य?
सभी ग्रह हो जाते हैं उग्र
होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। इस काल में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं। इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं करते। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि होलाष्टक की अवधि में आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं। पहले दिन यानि अष्टमी तिथि को चन्द्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी तिथि पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी तिथि पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहु उग्र स्थिति में रहते हैं। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों पर इन ग्रहों का दुष्प्रभाव पड़ता है, जिसका असर सभी राशियों के जीवन पर भी पड़ सकता है, जिस वजह से जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। शादी विवाह, भूमि पूजन के लिए प्रवेश सहित नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, विवाह संस्कार जैसे 16 संस्कार वर्जित माने गए हैं। मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान नव विवाहिता को अपने मायके में ही रहना चाहिए।
Holashtak 2025 : होलाष्टक का वैज्ञानिक आधार
मौसम में बदलाव के कारण मन अशांत, उदास और चंचल रहता है। इस मन से किए हुए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं। इसलिए इसमें कुछ शुभ-मांगलिक कार्य बंद रहते हैं। जैसे ही होलाष्टक समाप्त होता है, रंग खेलकर हम आनंद में डूबने का प्रयास करते हैं और शुभ व मांगलिक कार्य पुन: आरंभ हो जाते हैं।
Holashtak 2025 : होलाष्टक में 8 दिन जरूर करें ये काम
होलाष्टक के दौरान श्री हरि की पूजा-अर्चना करने से विशेष लाभ मिल सकते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी जरूर करें। घर में पीली सरसों, हल्दी गांठ, गुड़ व कनेर के फूल से हवन करना उत्तम होता है। आप श्रीसूक्त का पाठ भी कर सकते हैं। धन की समस्या होने पर होलाष्टक में भगवान नृसिंह की पूजा-अर्चना करना भी श्रेष्ठ माना गया है।
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