Shraddh ke Niyam : श्राद्ध के इन ज़रूरी नियमों को गलती से भी न करें नज़रअंदाज़,, वरना पूरी ज़िन्दगी झेलनी पड़ेगी पितरों की नाराज़गी

Do not ignore these important rules of Shradh even by mistake, otherwise you will have to bear the anger of ancestors throughout your life

Shraddh ke Niyam : श्राद्ध के इन ज़रूरी नियमों को गलती से भी न करें नज़रअंदाज़,, वरना पूरी ज़िन्दगी झेलनी पड़ेगी पितरों की नाराज़गी

Shraddh ke Niyam

Modified Date: September 9, 2025 / 01:17 pm IST
Published Date: September 9, 2025 1:15 pm IST

Shraddh ke Niyam : श्राद्ध हिन्दू एवं अन्य भारतीय धर्मों में किया जाने वाला एक कर्म है जो पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता अभिव्यक्त करने तथा उन्हें याद करने के निमित्त किया जाता है। पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और 21 सितंबर को समाप्त होगी। इसके पीछे मान्यता है कि जिन पूर्वजों के कारण हम आज अस्तित्व में हैं, जिनसे गुण व कौशल, आदि हमें विरासत में मिलें हैं, उनका हम पर न चुकाये जा सकने वाला ऋण हैं। वे हमारे पूर्वज पूजनीय हैं। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कार्य किए जाएंगे, जिन्हें गलती से भी न करें नज़रअंदाज़।

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पितृ पक्ष का समय हिंदू धर्म में बहुत ही ज़रूरी माना जाता है जोकि पूरी तरह से पितरों को समर्पित होता है। इस दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसी क्रियाएं की जाती हैं। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि यानी 7 सितंबर से शुरू हो चुकी है और सर्व पितृ अमावस्या पर 21 सितंबर को समाप्त होगी।

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पितृ पक्ष के इन 15 दिनों में लोग मृत पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए श्राद्ध से पितृ तृप्त और खुश होकर अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं। लेकिन पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के कुछ जरूरी नियम होते हैं जिन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, वरना इससे पितरों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है और पितृ दोष लगा सकता है। इसलिए जान लीजिए श्राद्ध से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में.. 

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श्राद्ध से जुड़े कुछ ज़रूरी नियम

– श्राद्ध का कार्य दोपहर के “कुतुप मुहूर्त” में करना शुभ माना जाता है, जो सुबह 11:36 बजे से दोपहर 12:24 बजे के बीच होता है।

– पितरों का श्राद्ध करते समय अपना मुख हमेशा दक्षिण दिशा की ओर ही रखें और इसी दिशा में मुख करके बैठना चाहिए। इसका कारण यह है कि इस दिशा को पितृलोक की दिशा माना जाता है।

– श्राद्ध के दौरान क्रोध, कलह या झगड़ा करने से बचें। किसी नए काम की शुरुआत न करें और न ही खरीदारी करें।

– पितृ पक्ष से जुड़े काम सूर्यास्त के समय नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान किए श्राद्ध का फल नहीं मिलता है।

– पितृ पक्ष के दौरान घर के किसी भी बड़े-बुजुर्ग का अपमान न करें और घर में न ही किसी को ठेस पहुँचाएं।

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इस बात का भी विशेष ध्यान रखें की श्राद्ध हमेशा अपनी जमीन या अपने स्थान पर ही करें। दूसरों के घर जमीन पर श्राद्ध नहीं करना चाहिए। यदि स्वयं की भूमि पर श्राद्ध करना संभव न हो तो आप किसी तीर्थ स्थल, पवित्र नदी के पास, देवालय आदि में जाकर भी श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।

– श्राद्ध के भोजन के लिए ब्राह्मणों को श्रद्धा और आमंत्रित करें। आप कम से कम तीन ब्राह्मण को जरूर बुलाएं और सात्विक रूप से ब्राह्मणों के लिए भोजन तैयार करें।

– श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं। साथ वस्त्र या अन्न का दान देकर सम्मानपूर्वर विदा करें. बिना दान-दक्षिणा श्राद्ध अधूरा होता है।

– श्राद्ध के दिन घर में पवित्रता और शांति बनाए रखें। क्रोध, कलह या झगड़े करने से पितरों को तृप्ति नहीं मिलती जिससे वो नाराज़ हो जाते हैं।

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– श्राद्ध के भोजन का एक भाग गाय, कुत्ते, चींटी और कौवे के लिए जरूर निका। इन जीवों को पितरों तक भोजन पहुंचाने का ज़रिया माना जाता है।

– श्राद्ध में तिल, जौ, कुशा, घी, शहद आदि जैसी सामग्री का उपयोग महत्वपूर्ण होता है। इनके बिना श्राद्ध अपूर्ण माना जाता है।

– श्राद्ध वाले दिन नाखून, बाल और दाढ़ी कटवाने से बचें। साधक संयमित और श्रद्धावान रह कर पितरों का श्राद्ध करें।

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.