नई दिल्ली। Swastika Sign: शाश्वत धर्म में स्वास्तिक के चिह्न को भारतीय संस्कृति का ऐसा चिह्न माना जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में सुख-समृद्धि का प्रवाह बढ़ाता है। यही वजह है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले या तीज-त्योहार मनाते वक्त घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिह्न बनाया जाना अच्छा माना जाता है। स्वास्तिक शब्द 3 अक्षरों से मिलकर बना है। इनमें सु, अस और क अक्षर शामिल हैं। इनमें सु का अर्थ शुभ, अस का अस्तित्व और क का अर्थ कर्ता होता है। यही वजह है कि इस स्वास्तिक चिन्ह को बहुत शुभ माना जाता है।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
Swastika Sign: स्वास्तिक चिह्न को घर के मुख्य द्वार पर बनाए जानें के पीछे की बड़ी वजह यह है, कि सभी अच्छी-बुरी ताकतें मुख्य द्वार के जरिए ही घर में प्रवेश करती हैं। ऐसे में अगर आप घर के मेन गेट पर स्वास्तिक चिह्न बना देते हैं तो वह एक रक्षक की तरह नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोक देता है। स्वास्तिक चिह्न में 4 भुजाएं समानांतर रूप में बनाई जाती हैं। ये चारों दिशाएं प्रकृति की चारों दिशाओं की प्रतीक है। इसके बाद उन चारों भुजाओं को थोड़ा सा दाहिनी ओर मोड़ दिया जाता है। इस प्रकार बने स्वास्तिक चिह्न को बहुत कल्याणकारी और मानव जीवन के लिए शुभ माना जाता है।
Swastika Sign: कहते है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिह्न बना देने से दरिद्रता और बीमारी घर में प्रवेश नहीं कर पाती, जिससे वह परिवार हमेशा सुखी और समृद्ध रहता है। शास्त्र के अनुसार, घर के मेन गेट पर हमेशा हल्दी से ही स्वास्तिक चिह्न बनाना चाहिए। हल्दी में आयुर्वेदिक गुण होते हैं और यह वायरस समेत सूक्ष्म जीवियो और नकारात्मक शक्तियों के लिए अवरोध बन जाती है।
Swastika Sign: घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह बनाने के लिए उचित दिशा भी जानना जरुरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, स्वास्तिक चिह्न हमेशा उत्तर या ईशान दिशा में ही बनाना चाहिए। मान्यता है कि इन दिशाओं में स्वास्तिक बनाने से भगवान और देवी-देवताओं की कृपा हमेशा परिवार पर बनी रहती है।
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