Shani Pradosh Vrat 2025: आज शनि प्रदोष व्रत पर बने कई शुभ योग.. वृषभ, कर्क समेत इन राशियों का होगा भाग्योदय, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा के नियम

Shani Pradosh Vrat 2025: आज शनि प्रदोष व्रत पर बने कई शुभ योग.. वृषभ, कर्क समेत इन राशियों का होगा भाग्योदय, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा के नियम

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  • Publish Date - May 24, 2025 / 06:29 AM IST,
    Updated On - May 24, 2025 / 06:30 AM IST

Shani Pradosh Vrat 2025/Image Credit: IBC24 File

HIGHLIGHTS
  • शनि प्रदोष व्रत आज
  • शनि प्रदोष व्रत पर आयुष्मान और सौभाग्य जैसे शुभ योग बन रहे
  • आज आप भोलेनाथ के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा अर्चना कर सकते हैं

Shani Pradosh Vrat 2025: आज शनिवार का दिन बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि आज ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष का आखिरी प्रदोष व्रत है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन वैसे तो भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। लेकिन आप शनिदेव की भी पूजा अर्चना कर सकते हैं। आयुष्मान और सौभाग्य जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जिससे व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है। ऐसे में आज का दिन वृषभ, कर्क और कुंभ राशि के लिए बेहद खास रहने वाला है।

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शनि प्रदोष व्रत मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat 2025 Muhurt)

त्रयोदशी तिथि 24 मई 2025 को शाम 07:20 बजे शुरू होकर 25 मई 2025 को दोपहर 03:51 तक रहेगा। वहीं, प्रदोष काल – शाम 07:10 बजे 09:13 बजे तक रहेगा। शनि प्रदोष का पारण समय 25 मई को सुबह 5:26 मिनट पर है।

शनि प्रदोष व्रत महत्व (Shani Pradosh Vrat 2025 Mahatv)

शनिवार के दिन पड़ने के कारण आप इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा अर्चना कर सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या फिर शनि दोष है तो फिर इस दिन शनि मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

शनि प्रदोष व्रत पर शिव और शनि देव, दोनों की पूजा का महत्व है। इस व्रत को सुबह और शाम, दोनों समय विधि-विधान से किया जाता है। ऐसा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति और शिव जी का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि के बारे में..

  • सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनें और फिर घर के मंदिर की सफाई करें।
  • शिव परिवार की मूर्ति स्थापित कर जल, फूल, धूप-दीप अर्पित करें।
  • शिव चालीसा का पाठ करें और व्रत का संकल्प लें।
  • शाम को फिर स्नान करके शिवालय जाएं।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, आक, धतूरा चढ़ाएं।
  • पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • शनि मंदिर में भी जाकर शनि देव की पूजा करें।