Pradosh Vrat 2024 Date: इस दिन रखा जाएगा मार्च महीने का अंतिम प्रदोष व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानें यहां

Pradosh Vrat 2024 Date: हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शंकर को समर्पित होते हैं।

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  • Publish Date - March 17, 2024 / 01:33 PM IST,
    Updated On - March 17, 2024 / 01:33 PM IST

Kartik Mass Budh Pradosh Vrat 2024

नई दिल्ली : Pradosh Vrat 2024 Date: हिंदू धर्म शास्त्रों में व्रत के कई मायने बताए गए हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर महीने दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। प्रदोष व्रत वाले दिन भगवान शंकर को समर्पित होते हैं। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव, माता पार्वती की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इससे व्यक्ति को सुख-समृद्धि, धन, यश-वैभव की प्राप्ति होती है। आज हम आपको बताएंगे की मार्च महीने का दूसरा और अंतिम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और इसका शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि क्या है।

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इस दिन रखा जाएगा प्रदोष व्रत

Pradosh Vrat 2024 Date:  मार्च महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 मार्च को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर होगी और इसका समापन अगल दिन सुबह 6 बजकर 11 मिनट पर होगा। उदया तिथि के चलते मार्च का दूसरा प्रदोष व्रत 22 मार्च, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 34 मिनट से लेकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

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क्यों रखा जाता है प्रदोष व्रत

Pradosh Vrat 2024 Date:  मार्च का आखिरी प्रदोष व्रत काफी खास माना जा रहा है। इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भोलेनाथ का आशीर्वाद बना रहता है। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद एक चौकी पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें। पंचामृत से उनका अभिषेक करें। फिर उनके सामने घी का दीपक जलाएं. भगवान शिव को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करें। इस दिन पंचाक्षरी मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। शाम को प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। फिर आरती से पूजा को संपन्न करें। सफेद मिठाई या फिर खीर का भोग भोलेनाथ को लगाएं।

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