नई दिल्ली : Geeta Gyan: व्यक्ति की चाहत कभी भी खत्म होने का नाम नहीं लेती। ऐसे में अगर व्यक्ति की चाहत दूसरे से उसकी मेहनत का हिस्सा भी लेने की हो जाए तो वह उसके बर्बादी का अंत बन सकती है। दरअसल गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भी चेतावनी दी थी कि इन चार चीजों की इच्छा अगर कोई व्यक्ति करता है तो वह उसके बर्बादी का अंत हो सकता है।
श्रीमद्भगवत गीता को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र किताबों में से एक माना जाता है। इसी किताब के अनुसार यदी कोई व्यक्ति इन चार चीजों की कामना करता है तो उसे जीवन में कष्ट और बढ़ जाएं। आइए विस्तार में गीता में दिए गए इस श्लोक और उसके अर्थ को समझे।
परांग परद्रव्यांग तथैव च प्रतिग्रहम्
परस्त्रिंग पर्निन्दंग च मनसा ओपि बिवर्जायत
Geeta Gyan: कभी भी व्यक्ति को दूसरे का भोजन, दूसरे का धन, दूसरे का उपहार, परस्त्री और दूसरे की निंदा करने की इच्छा नहीं रखना चाहिए।
अपनी कमाई पर भरोसा करते हुए कभी भी दूसरे के भोजन पर अपना अधिकार नहीं समझे। क्योंकि वह भी किसी ने अपनी मेहनत से उसे खरीदा है।
Geeta Gyan: यदि व्यक्ति ने धोखे से किसी का धन हड़प लिया है तो उसे उसके बदले उससे ज्यादा गवाना पड़ सकता है। जैसे किसी बीमारी या फिर अन्य खर्चों में।
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कभी भी दूसरे व्यक्ति की कमाई को अपना नाम कर के दान ना करें। इससे व्यक्ति को कभी भी दान का पुण्य नहीं मिलेगा क्योंकि यह दूसरे की कमाई थीं।
Geeta Gyan: दूसरी स्त्री की वासना माहपाप है। अपने मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें। ऐसा करने से व्यक्ति की छवि खराब नहीं होगी।
अपनी निंदा कभी भी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करसे से खुद को खो देंगे। दरअसल आलोचना किसी के लिए भी अच्छी नहीं होती, इससे केवल नुकसान ही हुआ है। साथ ही निंदा करने वालों पर कभी भी कोई दुबारा विश्वास नहीं करता।