Sampurn Mahamrityunjaya Mantra : नई दिल्ली। महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। वहीं शिवपुराण सहित अन्य ग्रंथो में भी इसका महत्व बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो मृत्यु को जीतने वाला हो। इसलिए भगवान शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है। इसके जप से संसार के सभी कष्ट से मुक्ति मिलती हैं। ये मंत्र जीवन देने वाला है। इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है।
Sampurn Mahamrityunjaya Mantra : ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
Sampurn Mahamrityunjaya Mantra : इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
सभी राशियों के जातकों के लिए महामृत्युंजय मंत्र बहुत की लाभदायक है। लेकिन जिन जातकों को रोग समस्या, धन की समस्या, नौकरी में तरक्की नहीं मिल रही, परेशानियों से घिरे हुए है वह यह संम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें। भगवान भोलेनाथ उनके कष्टों का निवारण करेंगे। आने वाले 10 दिनों तक मेष, तुला, कन्या, धनु और मीन राशि वाले इस मंत्र का जाप अवश्य रूप से करें।
शुक्र गोचर के बाद सूर्य की तरह चमकने लगा भाग्य,…
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