2026 Me Janmashtami Kab Padegi: इस बार जन्माष्टमी 2026 कब मनाई जाएगी, 4 को या 5 सितंबर को? जानें शुभ मुहूर्त और खास बातें
भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है, जो भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर पड़ता है। साल 2026 में जन्माष्टमी 4 या 5 सितंबर को मनाई जाएगी। यहां जानें सही तारीख और उत्सव का शुभ मुहूर्त।
(2026 Me Janmashtami Kab Padegi / Image Credit: Meta AI)
- जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।
- 2026 में जन्माष्टमी दो तारीखों पर होगी: 4 और 5 सितंबर।
- रोहिणी नक्षत्र और निशीथ काल का संयोग जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त को बनाता है।
2026 Me Janmashtami Kab Padegi: जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला प्रमुख हिन्दू त्योहार है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इसे भक्ति, प्रेम और धर्म के संदेश को याद करने के लिए बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में रासलीला, शोभायात्रा, अखंड कीर्तन और विशेष झांकियां आयोजित की जाती हैं।
जन्माष्टमी 2026 की तारीख
साल 2026 में जन्माष्टमी दो अलग-अलग तारीखों पर मनाई जाएगी। यह अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग के कारण है।
- स्मार्त जन्माष्टमी: 4 सितंबर 2026, शुक्रवार – गृहस्थ उपासकों के लिए।
- वैष्णव जन्माष्टमी: 5 सितंबर 2026, शनिवार – मंदिरों और इस्कॉन में।
जन्माष्टमी 2026 का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी 4 सितंबर 2026 को सुबह 03:08 बजे से शुरू होकर 5 सितंबर 2026 को 01:09 बजे समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव 4 सितंबर की सुबह से 5 सितंबर तक रहेगा।
- निशीथ पूजन: 4 सितंबर रात 11:57 बजे से 5 सितंबर तड़के 12:42 बजे तक।
- श्री कृष्ण का जन्मक्षण: 5 सितंबर को 12:19 AM के आसपास।
वैष्णव परंपरा में अष्टमी, रोहिणी और निशीथ काल का संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है, इसलिए मंदिरों में जन्मोत्सव 5 सितंबर को मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी के विशेष रीति-रिवाज
जन्माष्टमी पर श्रद्धालु सुबह स्नान करके उपवास का संकल्प लेते हैं। व्रत फलाहार या निर्जला रखा जा सकता है। इस दिन लड्डू गोपाल को स्नान करवा कर नए वस्त्र, चंदन और तुलसी अर्पित किया जाता है। मक्खन-मिश्री, पंजीरी और पंचामृत अर्पित करना शुभ माना जाता है।
निशीथ पूजन और जन्मोत्सव
रात में निशीथ पूजन का आयोजन होता है। श्री कृष्ण के जन्म समय के अनुसार झूला झुलाया जाता है, भजन-कीर्तन और आरती की जाती है। यह समय भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और पूर्ण भक्ति भाव के साथ उत्सव मनाया जाता है।
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