नई दिल्ली : #SarkarOnIBC24 : बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद राजनीति अस्थिरता का दौरा लंबा चल सकता है। अभी तक अंतरिम सरकार की तस्वीर सामने नहीं आई है। जिसके चलते बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है। अल्पसंख्यक हिंदुओं को भी निशाना बनाया जा रहा है। जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ, बाबा रामदेव और बागेश्वरधाम के प्रमुख धीरेंद्र ने भी चिंता जताई है।
#SarkarOnIBC24 : बांग्लादेश संकट के दौर से गुजर रहा है। पूरे देश में प्रदर्शन और हिंसा का दौर जारी है। प्रदर्शन की आड़ में अल्पसंख्यक हिंदुओं के घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ की जा रही है। लूट का शिकार बनाया जा रहा है। कई हिंदुओं की हत्या तक हो चुकी है। बांग्लादेश से आती इन खबरों से भारत सरकार ही नहीं बल्कि हिंदू धर्मगुरू भी चिंतित हैं। मंगलवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस पर चिंता जताई थी तो अब सीएम योगी आदित्यनाथ, योग गुरू बाबा रामदेव और बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री और ने भी चिंता प्रकट की है।
बांग्लादेश में अगर हिंदुओं की आबादी की बात करें तो वहां कि कुल आबादी में हिंदुओं की संख्या 8 फीसदी से भी कम है। जबकि बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के समय 18 फीसदी हिंदू थे। बांग्लादेश के चार जिले ऐसे हैं जहां हिंदू आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है। इनमें गोपालगंज जिले में 26 फीसदी, खुलना जिले में 20 फीसदी, ठाकुरगांव जिले में 22 और मौलवी बाजार जिले में 24 फीसदी हिंदू आबादी निवास करती हैं।
शेख हसीना ने 5 अगस्त को बांग्लादेश के पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़ दिया था और फिलहाल हसीना भारत में हैं। अब हसीना के भारत में रहने पर भी सियासी बयानबाजी शुरु हो गई है।
#SarkarOnIBC24 : AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा, ”पीएम मोदी ने विदेश नीति का मजाक बना दिया है। उन्हें बताना होगा कि वो शेख हसीना के साथ हैं या फिर वहां की जनता के साथ। कल को वहां पर चुनी हुई सरकार कहती है कि इनको भेजिए, इन पर हमें केस चलाना है। ऐसे में पीएम मोदी क्या करेंगे।” पीएम मोदी यह क्यों नहीं कह रहे हैं कि हम बांग्लादेश की जनता के साथ हैं। आप हटाए गए नेता के साथ हैं या फिर जनता के साथ, यह बताना चाहिए।”
पाकिस्तान और चीन को छोड़ दे तो भारत के अपने पड़ोसी देशों से संबंध हमेशा से मैत्रीपूर्ण रहे हैं। एक समय ऐसा था जब ज्यादातर पड़ोसी देशों में लोकतंत्र फूल-फूल रहा था। आज कहीं सैन्य शासन है तो कहीं डिक्टेटर शिप तो कहीं राजनीतिक अस्थिरता। कई देश ऐसे भी हैं जहां हमारे दुश्मन चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। जिसने भारतीय विदेश नीति के सामने नई चुनौती पेश कर दी है। बांग्लादेश में जब तक नई सरकार वहां देश की कमान नहीं संभाल लेती हिंदुओं का सुरक्षा का प्रश्न भारत को परेशान करता रहेगा।