MLA Nirmla Sapre News
भोपाल : MLA Nirmla Sapre News : राजनीति में एक-एक कदम फूँक-फूँक कर रखने का रिवाज है। एक बार में ही लंबी छलांग लगाने वाले अक्सर अधर में लटक जाते हैं। यही हाल इस समय बीना से पहली बार की महिला विधायक निर्मला सप्रे का देखने में आ रहा है, वो कांग्रेस के प्रति वफादार हैं या उनकी आस्था बीजेपी की तरफ है। इसे लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाली निर्मला एक बार फिर बीजेपी की पाले में नजर आई।
MLA Nirmla Sapre News : अपने बगावत तेवर से कांग्रेस की टेंशन बढाने वाली निर्मला सप्रे ने एक बार फिर कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी। मौका था भोपाल के प्रदेश कार्यालय में भाजपा संगठन की बैठक का, जिसमें बीजेपी संगठन के पदाधिकारियों के बीच कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे भी नजर आई। जिसने हर किसी को हैरान कर दिया।हालांकि निर्मला सप्रे ने ये कहकर सबको चौका दिया कि मैंने बीजेपी की सदस्यता नहीं ली है, लेकिन अच्छी खबर जल्द आने वाली है।
ये कोई पहला मौका नहीं है जब निर्मला की बीजेपी से नजदीकी देखने को मिली हो, इससे पहले भी 5 मई 2024 को सागर के सुरखी में निर्मला ने सीएम मोहन यादव के साथ मंच साझा किया था। बीजेपी का दुपट्टा पहना था और संकेत दिए थे कि जल्दी ही कांग्रेस विधायक के पद से इस्तीफा दे देंगी और बीना में उपचुनाव कराए जाएंगे। बताया जा रहा है कि बीजेपी के साथ आने के लिए निर्मला ने 15 शर्तें रखी थी।
जिसमें प्रमुख शर्तें थी
बीना को सागर से अलग कर नया जिला बनाना
बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव जिताना
रिफाइनरी, पावर प्लांट में स्थानीय लोगों को 50% आरक्षण
बीना में पेट्रोकेमिकल कोर्स के साथ पॉलिटेक्निक कॉलेज और
बीना के शहरी क्षेत्र में 40 किलोमीटर की रिंग रोड
MLA Nirmla Sapre News : सागर एक बड़ा जिला है और उसे तोडकर जिला बनाने की मांग दशको पुरानी है लेकिन पेंच खुरई और बीना के बीच झूल रहा है। खुरई को बीजेपी के कद्दावर नेता भूपेन्द्र सिंह जिला बनाने पर अड़े हैं। जबकि निर्मला बीना को जिला बनाने की मांग कर रही हैं। ऐसे में बीजेपी भी इस मामले से कन्नी काट रही है।
निर्मला सप्रे के बीजेपी की बैठक में शामिल होने पर अब जमकर सियासत भी हो रही है। कांग्रेस जहां निर्मला को बहरुपिया कहकर विधायक पद से इस्तीफा देने की चुनौती दे रही है, तो बीजेपी इस पर तंज कस रही है।
निर्मला सप्रे की हालत अब ऐसी हो चुकी है कि न तो उनको जिला मिला, न किला बचा और विधायकी भी संकट में आ गईं। निर्मला का सम्मान न तो क्षेत्र में बचा है, न कांग्रेस कार्यकर्ताओं में। हालांकि बीजेपी संगठन की बैठक में शामिल होकर निर्मला ने संकेत जरुर दे दिया वो कांग्रेस के प्रति तो वफादार नहीं हैऔर अपनी निष्ठा कभी भी बदल सकती हैं।