CG: मिलेट्स से मिली प्रदेश को नई पहचान, समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला अकेला राज्य बना छत्तीसगढ़
Millets became the identity of Chhattisgarh
रायपुर: देश और दुनिया में मोटे अनाज अर्थात मिलेट को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दौर में जनजातीय वर्ग की बहुलता वाले राज्य छत्तीसगढ़ में मिलेट के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास जारी हैं और उसे देश का मिलेट हब बनाने की कोशिशें हो रही हैं। (Millets became the identity of Chhattisgarh) यहां राज्य सरकार द्वारा मिलेट की खेती को प्रोत्साहन देने के फलस्वरूप किसानों का रूझान कोदो, कुटकी और रागी की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है। राज्य में मिलेट की खेती को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन भी प्रारंभ किया गया है।

राज्य में मोटे अनाज की खेती होती आई है मगर अब इसे राज्य सरकार प्रोत्साहित करने में लगी है। इसी क्रम में मिलेट्स की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है, जहां कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ-साथ इसके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल तथा रागी की खरीदी 3377 रूपए प्रति क्विंटल तय की गई है। बीते सीजन में किसानों ने समर्थन मूल्य पर 34 हजार 298 क्विंटल मिलेट्स 10 करोड़ 45 लाख रूपए में बेचा था।
मिलेट के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के नतीजे भी सामने आने लगे हैं। राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा वर्ष 2021-22 में 16.03 करोड़ रूपए का 5273 टन मिलेट और वर्ष 2022-23 में 39.60 करोड़ रूपए का 13 हजार 5 टन मिलेट समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। राज्य में खरीफ वर्ष 2023 में मिलेट्स की खेती का रकबा 96 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 1 लाख 60 हजार हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है। देश के कई आदिवासी इलाकों में मोटे अनाज का काफी समय से प्रयोग किया जाता रहा है। यह स्वास्थ्य की ²ष्टि से बहुत फायदेमंद है। इसलिए अब दूसरे इलाकों में भी इस अनाज का काफी इस्तेमाल किया जा रहा है।

एक्सपर्ट के मुताबिक कोदो, कुटकी और रागी को प्रोटीन व विटामिन युक्त अनाज माना गया है। इसके सेवन से शुगर, बीपी जैसे रोग में लाभ मिलता है। सरगुजा और बस्तर के आदिवासी संस्कृति व खानपान में कोदो, कुटकी, रागी जैसे फसलों का महत्वपूर्ण स्थान है। गौरतलब है कि मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के मामले में छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड 2022 सम्मान भी मिल चुका है। राज्य में मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसको राजीव गांधी किसान न्याय योजना में शामिल किया गया है। (Millets became the identity of Chhattisgarh) मिलेट्स उत्पादक कृषकों को प्रोत्साहन के लिए प्रति एकड़ के मान से नौ हजार रूपए की आदान सहायता भी दी जा रही है। मिलेट्स की खेती में कम पानी और कम खाद की जरूरत पड़ती है। जिसके चलते इसकी खेती में लागत बेहद कम आती है और उत्पादक कृषकों को लाभ ज्यादा होता है।

राज्य में मिलेट की खेती को प्रोत्साहन, किसानों को प्रशिक्षण, उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता तथा उत्पादकता में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए राज्य में मिलेट मिशन संचालित है। 14 जिलों ने आईआईएमआर हैदराबाद के साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से मिलेट मिशन के अंतर्गत त्रिपक्षीय एमओयू भी हो चुका है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को प्रति एकड़ 4.5 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल यानि दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है।

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