साइ और एनआरएआई की संयुक्त निगरानी में आयोजित होगा जैव सुरक्षित राष्ट्रीय निशानेबाजी शिविर

साइ और एनआरएआई की संयुक्त निगरानी में आयोजित होगा जैव सुरक्षित राष्ट्रीय निशानेबाजी शिविर

साइ और एनआरएआई की संयुक्त निगरानी में आयोजित होगा जैव सुरक्षित राष्ट्रीय निशानेबाजी शिविर
Modified Date: November 29, 2022 / 07:54 pm IST
Published Date: October 13, 2020 6:17 am IST

नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) कर्णी सिंह निशानेबाजी रेंज को चार ‘जोखिम’ क्षेत्रों में बांटा जाएगा ताकि ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर चुके निशानेबाज कोविड-19 महामारी के बावजूद जैव सुरक्षित वातावरण में गुरुवार से एक महीने तक चलने वाले राष्ट्रीय शिविर में अभ्यास कर सकें।

भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) सुरक्षित वातावरण में शिविर के आयोजन के लिये संयुक्त जिम्मेदारी लेंगे।

साइ ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, ‘‘खिलाड़ियों के सुरक्षित वातावरण में अभ्यास करने और कोरोना वायरस के प्रकोप के रोकने के मद्देनजर जैव सुरक्षित वातावरण तैयार करने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को बनाये रखने की संयुक्त जिम्मेदारी भारतीय खेल प्राधिकरण और एनआरएआई की होगी। ’’

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यह शिविर इससे पहले महामारी के कारण दो बार स्थगित किया जा चुका है। इसमें 32 निशानेबाजों (18 पुरुष और 14 महिला), आठ कोच, तीन विदेशी कोच और दो सहयोगी स्टाफ के भाग लेने की संभावना है।

साइ के अनुसार ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर चुके सभी 15 निशानेबाज इसका हिस्सा होंगे। इस पूरी प्रक्रिया में कुल 1.43 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

इसमें कहा गया है, ‘‘शिविर में भाग ले रहे खिलाड़ियों और रेंज कर्मियों के बीच संपर्क बहुत कम रखने के लिये परिसर को जोखिम के अनुरूप चार क्षेत्रों ‘ग्रीन, ओरेंज, येलो और रेड जोन’ में बांटा जाएगा। ’’

एनआरएआई ने रेंज के करीब स्थित होटल में खिलाड़ियों के ठहरने की व्यवस्था की है जिसमें साई मौजूदा एसओपी के अनुसार सहयोग प्रदान करेगा। होटल से लेकर निशानेबाजी रेंज तक एसओपी का सही तरह से पालन करवाने की जिम्मेदारी एनआरएआई की होगी।

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाहर से आने वाले निशानेबाजों और कोचों को सात दिन तक होटल में पृथकवास पर रहना होगा जबकि स्थानीय खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को सात दिन तक अपने घर में अलग थलग रहना होगा। इसके बाद वे अन्य खिलाड़ियों के साथ ही होटल में रहेंगे।

भाषा पंत

पंत


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