भावनाओं का उतार-चढ़ाव: तेजस्विन ने दक्षिण कोरिया में रजत पदक जीता

भावनाओं का उतार-चढ़ाव: तेजस्विन ने दक्षिण कोरिया में रजत पदक जीता

भावनाओं का उतार-चढ़ाव: तेजस्विन ने दक्षिण कोरिया में रजत पदक जीता
Modified Date: May 28, 2025 / 09:33 pm IST
Published Date: May 28, 2025 9:33 pm IST

नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) तेजस्विन शंकर ने ‘भावनाओं का उतार-चढ़ाव’ झेला जब वह एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डेकाथलन में दो पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए और उन्हें स्वर्ण पदक से चूकने का कोई अफसोस नहीं है क्योंकि वह देश के लिए पोडियम पर जगह बनाने में सफल रहे।

डेकाथलन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक तेजस्विन ने बुधवार को दक्षिण कोरिया के गुमी में 7618 अंकों के साथ रजत पदक जीता। उन्होंने 2023 सत्र में कांस्य पदक जीता था।

तेजस्विन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘स्वर्ण और रजत के बीच का अंतर 16.3 सेकेंड है और यह रजत तथा कांस्य के बीच का अंतर भी है। मुझे लगता है कि यह पदक जीतने की कोशिश करने के बारे में अधिक है। यह निश्चित रूप से इस बारे में कम है कि क्या किया जा सकता था, क्या किया जाना चाहिए था।’’

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अब तक इस महाद्वीपीय चैंपियनशिप में तीन भारतीयों – विजय सिंह चौहान (1973), सुरेश बाबू (1975) और सबील अली (1981) – ने डेकाथलन में स्वर्ण पदक जीते हैं।

अधिकांश समय अमेरिका में रहने वाले तेजस्विन ने 10 स्पर्धा की प्रतियोगिता में दो व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किए। उन्होंने गोला फेंक में 13.79 मीटर और 110 मीटर बाधा दौड़ में 14.58 सेकेंड के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

तेजस्विन ने कहा, ‘‘पहले दिन शुरुआती दो स्पर्धाओं में मैं मुश्किल में था। मैं संघर्ष कर रहा था और फिर गोला फेंक में मेरे पहले दो थ्रो भी खराब थे लेकिन फिर किसी तरह मैं तीसरे थ्रो में अपनी सारी हिम्मत जुटा पाया।’’

उन्होंने कहा,‘‘मैंने बस कोशिश की और सौभाग्य से, आप जानते हैं कि मैं आगे निकल गया और मैंने अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी और फिर चीजें बदल गईं।’’

चीजों का बदलने वाला यह पल सिर्फ अच्छे थ्रो से ही नहीं बल्कि वार्म-अप के दौरान खेल भावना और धैर्य के एक पल से आया।

तेजस्विन ने कहा, ‘‘स्वर्ण पदक के लिए चुनौती दे रहे युमा (मारुयामा) बाधा दौड़ के लिए अभ्यास करते समय गिर गया। उसकी गर्दन में गंभीर चोट लग गई। और इसके बावजूद जापान के खिलाड़ी ने स्पर्धाओं में भाग लेना जारी रखा… इससे मुझे कुछ प्रेरणा मिली।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर वह उस चोट के साथ ऐसा कर सकता है तो मैं कम से कम स्वर्ण पदक के लिए चुनौती तो दे ही सकता हूं।’’

तेजस्विन ने कहा, ‘‘यह भावनाओं का उतार-चढ़ाव है… अधिकांश प्रतियोगिताओं में, मैं पहले दिन के बाद से ही आगे रहता हूं। और मैं भी इंसान हूं। इसलिए मैं घर जाकर अपने सोशल मीडिया को देखता हूं। और मैं देखता हूं कि हर कोई स्वर्ण चाहता है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन फिर मुझे खुद को रोकना पड़ता है। मैं सोचता हूं कि ठीक है, मेरे पास अगले दिन अब भी पोल वॉल्ट और भाला फेंक बाकी है। मैं उन पोस्ट को देखकर बहुत अधिक प्रभावित नहीं होने की कोशिश करता हूं।’’

रूपल चौधरी, संतोष कुमार, विशाल टीके और सुभा वेंकटेशन की भारत की चार गुणा 400 मीटर मिश्रित रिले टीम ने तीन मिनट 18.12 सेकेंड का समय निकालकर अपना स्वर्ण पदक बरकरार रखा और भारतीय एथलेटिक्स संघ के पूर्व अध्यक्ष तथा वर्तमान प्रवक्ता आदिल सुमारिवाला ने कहा कि यह प्रदर्शन दर्शाता है कि भारत में पर्याप्त प्रतिभा है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से पुनर्गठित टीम नहीं है। रूपल और सुभा पिछली टीम में थे। संतोष रिजर्व में थे। इसलिए यह नए और पुराने का मिश्रण है। हमें भविष्य की ओर देखने की जरूरत है, हमें अतीत को भूलकर आगे बढ़ने की जरूरत है।’’

विश्व एथलेटिक्स के उपाध्यक्ष सुमारिवाला ने कहा, ‘‘इस टीम ने दिखाया है कि हमारे पास अच्छा रिजर्व पूल है, हम मौका मिलने पर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।’’

भाषा सुधीर नमिता

नमिता


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