जब मुंबई अंडर 19 टीम का कोच बनने की पेशकश पर खफा हो गए थे खालिद जमील

जब मुंबई अंडर 19 टीम का कोच बनने की पेशकश पर खफा हो गए थे खालिद जमील

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  • Publish Date - August 1, 2025 / 05:17 PM IST,
    Updated On - August 1, 2025 / 05:17 PM IST

नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) भारतीय पुरूष फुटबॉल टीम के कोच बनने तक का खालिद जमील का सफर भले ही रोमांच से भरा नहीं रहा हो लेकिन पिछले आठ साल में 48 वर्ष के इस पूर्व फुटबॉलर की प्रगति का ग्राफ असाधारण जरूर कहा जा सकता है ।

मुंबई एफसी प्रबंधन ने जब पहली बार 2008 में उन्हें अंडर 19 टीम का कोच बनने की पेशकश की थी तब वह काफी खफा हुए थे क्योंकि उस समय वह सीनियर टीम के सक्रिय सदस्य थे ।

अगर उस समय उन्होंने वह पेशकश ठुकरा दी होती तो आज देश की राष्ट्रीय टीम के कोच नहीं बने होते ।

आइजोल एफसी को आईलीग खिताब दिलाने से लेकर ईस्ट बंगाल और मोहन बागान जैसी दिग्गज टीमों के कोच के रूप में अपेक्षाओं का दबाव बखूबी झेलने वाले जमील ने वहीं से सभी का ध्यान खींचा था । इंडियन सुपर लीग में वह जमशेदपुर एफसी के मुख्य कोच रहे जबकि अधिकांश टीमों के कोच विदेशी ही हैं ।

पिछले 13 साल में वह भारतीय फुटबॉल टीम के पहले देसी कोच बने हैं । आखिरी बार सावियो मेडेइरा 2011 से 2012 तक भारतीय फुटबॉल टीम के भारतीय कोच थे ।

इस समय जमील निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ भारतीय कोच हैं । वह पिछले दो सत्र में एआईएफएफ के ‘वर्ष के सर्वश्रेष्ठ कोच’ रहे हैं । आईलीग और आईएसएल में वह अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा ही चुके हैं ।

मुंबई के इस दिग्गज को बेहतरीन रणनीतिकार भी माना जाता है । वह कड़ी मेहनत में विश्वास रखते हैं । उनकी तुलना सैयद नईमुद्दीन से की जा सकती है जिनका कड़ी मेहनत में हमेशा विश्वास रहा है ।

एएफसी के प्रो लाइसेंस डिप्लोमा धारक कोच जमील लंबे समय से भारतीय फुटबॉल के पथप्रदर्शक रहे हैं ।

कुवैत में जन्में जमील का परिवार खाड़ी युद्ध (1990.91) के बाद मुंबई आ बसा था । वह मुंबई के रिजवी कॉलेज में पढते हुए यूनिवर्सिटी टीम का हिस्सा रहे । बाद में महिंद्रा युनाइटेड, एयर इंडिया और मुंबई एफसी के लिये खेले ।

उन्होंने कहा था ,‘‘ मुझे बचपन से फुटबॉल पसंद है । जब मैने शुरू किया तो यह सोचा नहीं था कि पेशेवर फुटबॉलर बनूंगा । मैं बस खेलता रहा ।’’

दिन में पांच बार नमाज पढने वाले जमील ने 1997 में काठमांडू में बांग्लादेश के खिलाफ सैफ कप मैच में भारत के लिये पदार्पण किया । बाईचुंग भूटिया के साथ खेल चुके जमील ने भारत के लिये 15 मैच खेले लेकिन 2006 में चोटों के कारण खेल को अलविदा कह दिया ।

बतौर कोच जमील की राह आसान नहीं होगी चूंकि भारतीय टीम का प्रदर्शन पिछले कुछ अर्से में खराब रहा है । दस जून को एएफसी एशियाई कप क्वालीफायर में निचली रैंकिंग वाली हांगकांग टीम से हारने के बाद भारत पर 2027 में होने वाले इस उपमहाद्वीपीय टूर्नामेंट से बाहर रहने का भी खतरा है ।

ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान में 29 अगस्त से काफा कप के बाद भारत को नौ और 14 अक्टूबर को सिंगापुर के खिलाफ एएफसी एशियाई कप क्वालीफाइंग दौर के मुकाबले खेलने हैं ।

भाषा मोना नमिता

नमिता