ओवल टेस्ट में नहीं खेलने पर स्टोक्स ने कहा, जोखिम काफी अधिक था

ओवल टेस्ट में नहीं खेलने पर स्टोक्स ने कहा, जोखिम काफी अधिक था

ओवल टेस्ट में नहीं खेलने पर स्टोक्स ने कहा, जोखिम काफी अधिक था
Modified Date: July 30, 2025 / 07:16 pm IST
Published Date: July 30, 2025 7:16 pm IST

लंदन, 30 जुलाई (भाषा) बेन स्टोक्स ने भारत के खिलाफ शुरुआती चार टेस्ट मैच में इंग्लैंड के लिए महत्वपूर्ण ओवरों में गेंदबाजी करते हुए अपने चोटिल शरीर की परवाह नहीं की लेकिन उनका कहना है कि श्रृंखला में आखिरी बार मैदान पर उतरना काफी जोखिम भरा होता।

श्रृंखला में 17 विकेट के साथ सबसे सफल गेंदबाज स्टोक्स ओवल में पांचवें और अंतिम टेस्ट में हिस्सा नहीं लेंगे।

उनके अलावा जोफ्रा आर्चर और संभवतः जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति भी इस रोमांचक श्रृंखला के अंतिम मुकाबले की चमक को कम कर देगी।

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आखिरकार लॉर्ड्स और मैनचेस्टर में लंबे स्पैल डालने का स्टोक्स के दाहिने कंधे पर बुरा असर पड़ा जिससे उनकी मांसपेशियों में चोट लग गई। स्टोक्स ओवल में अपनी भागीदारी को लेकर काफी उत्साहित थे लेकिन स्कैन से पता चला कि स्टोक्स इस मुकाबले का हिस्सा नहीं बन पाएंगे।

स्टोक्स ड्रेसिंग रूम से फैसले करेंगे लेकिन इंग्लैंड को बल्ले और गेंद से मैदान पर उनकी कमी खलेगी।

स्टोक्स ने कहा, ‘‘यह जोखिम-लाभ का आकलन करने का मामला है और जोखिम इतना अधिक था कि इसे मौजूदा स्थिति से और अधिक नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। मैं ऐसा नहीं चाहता था… और मैं अपने किसी भी खिलाड़ी को इस तरह की चोट के जोखिम में डालने की उम्मीद नहीं करता।’’

इंग्लैंड के कप्तान ने कहा, ‘‘मैं रिहैबिलिटेशन शुरू करूंगा और आगे जो कुछ भी करना है उस पर ध्यान केंद्रित करूंगा। बहुत निराश हूं लेकिन मुझे इस तरह के फैसले लेने के लिए सामान्य से थोड़ा अधिक समय चाहिए था।’’

स्टोक्स को उम्मीद है कि वह ऑस्ट्रेलिया में होने वाली एशेज से पहले छह से सात हफ्तों में पूरी तरह से फिट हो जाएंगे।

स्टोक्स आखिरी टेस्ट मैच में नहीं खेलने से निराश दिखे लेकिन उनका मजाकिया लहजा बरकरार रहा।

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक मांसपेशी की चोट है जिसका उच्चारण मैं नहीं कर सकता क्योंकि मुझे नहीं पता कि इसे कैसे कहूं (मुस्कुराते हुए)। हमने यह फैसला लेने में जितना हो सका उतना समय लिया।’’

स्टोक्स ने कहा, ‘‘मैं आज सुबह यहां यह देखने आया था कि क्या मैं बल्लेबाज के तौर पर खेल सकता हूं या नहीं। स्कैन के नतीजे आने ही गेंदबाजी की संभावना खत्म हो गई थी। आपको मेडिकल टीम, बैज (मुख्य कोच ब्रैंडन मैकुलम), के साथ बातचीत करने के लिए समय चाहिए होता है और फिर लगभग 20 मिनट खुद के लिए जिससे कि हम जो फैसला ले रहे हैं उसके बारे में पूरी तरह स्पष्ट हो सकें।’’

स्टोक्स से जब यह पूछा गया कि क्या वह अपने काम के बोझ को अलग तरीके से प्रबंधित कर सकते थे तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, बिल्कुल नहीं। जब मैं मैदान पर होता हूं तो जीतने के लिए खेलता हूं और अपना सर्वश्रेष्ठ देता हूं। अगर मुझे लगता है कि मैच में कोई ऐसा पल है जहां मुझे अपना सब कुछ झोंकना होगा तो मैं ऐसा करूंगा क्योंकि यह टीम मेरे लिए बहुत मायने रखती है, इंग्लैंड के लिए खेलना मेरे लिए मायने रखता है, जीतना मेरे लिए मायने रखता है।’’

तेज गेंदबाजों के लिए अनुकूल परिस्थितियों की उम्मीद में इंग्लैंड ने अपनी एकादश में चार तेज गेंदबाजों को शामिल किया है जिसमें जैकब बेथेल और जो रूट कामचलाऊ स्पिनर होंगे।

स्टोक्स ने कहा, ‘‘हमें इस बारे में सोचना पड़ा कि मैं गेंदबाजी नहीं कर पाऊंगा। अगर मुझे खेलना होता तो बल्लेबाज के तौर पर खेलता। यहां आमतौर पर तेज गेंदबाज ही विकेट लेते हैं। बेथेल के छठे नंबर पर आने के बाद भी हमें लगा कि हमें चार तेज गेंदबाजों की जरूरत है।’’

स्टोक्स ने मैनचेस्टर में पांचवें दिन आखिरी घंटे के 15 ओवर बचे होने के बावजूद मैच खत्म करने के अपने बहुचर्चित फैसले का समर्थन किया। भारत ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर शतक के करीब पहुंच चुके थे।

इंग्लैंड के कप्तान ने कहा, ‘‘जडेजा और वाशिंगटन दोनों ने उस समय तक अविश्वसनीय रूप से अच्छा खेला इसलिए आप समझ सकते हैं कि वे क्यों मैदान पर टिके रहना चाहते थे और शतक जड़ना चाहते थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जैसा कि मैंने मैच के अंत में कहा था, मैं अपने किसी भी गेंदबाज को ऐसी स्थिति में गेंदबाजी नहीं करने दूंगा जहां हम जीत ना पाएं और उनमें से किसी के भी चोटिल होने का खतरा हो। हम इससे उबर चुके हैं। मुझे लगता है कि भारत इस पूरी स्थिति से उबर चुका है।’’

स्टोक्स ने कहा कि भारत के खिलाफ कड़ी श्रृंखला जैसी पांच मैच की श्रृंखला का टीम के कप्तान के तौर पर काफी गहरा असर पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘बहुत बड़ा असर पड़ता है। शारीरिक रूप से यह बहुत मुश्किल होता है, विशेषकर मैदान पर। यह थका देने वाला होता है। लेकिन इसका मानसिक पहलू भी उतना ही थका देने वाला होता है। यह श्रृंखला हर बार आखिरी सत्र तक गई। पता नहीं ऐसा पहले कभी हुआ है या नहीं। यह एक कठिन और थका देने वाली श्रृंखला रही है लेकिन इसमें खेलना शानदार रहा।’’

भाषा सुधीर मोना

मोना


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