श्रेयस अय्यर ने निराशा को पीछे आईपीएल में लिखी सफलता की कहानी |

श्रेयस अय्यर ने निराशा को पीछे आईपीएल में लिखी सफलता की कहानी

श्रेयस अय्यर ने निराशा को पीछे आईपीएल में लिखी सफलता की कहानी

:   Modified Date:  May 27, 2024 / 05:01 PM IST, Published Date : May 27, 2024/5:01 pm IST

(तस्वीरों के साथ) … तपन मोहंता …

कोलकाता, 27 मई (भाषा) निराशा को पीछे छोड़कर कामयाबी की नयी दास्तान लिखने वाले कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के कप्तान श्रेयस अय्यर ने लियोनेल मेस्सी के विश्व कप जीतने के अंदाज में रविवार को इंडियन प्रीमियर लीग खिताब जीतने का जश्न मनाया । आईपीएल से कुछ सप्ताह पहले भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने उनका केंद्रीय अनुबंध खत्म कर दिया। इसके अलावा बार-बार पीठ की चोट के कारण उनके करियर में रुकावट आने का खतरा पैदा हो गया। श्रेयस को इस साल की शुरुआत से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने इन सभी निराशा को पीछे छोड़कर केकेआर के आईपीएल खिताब के 10 साल को सूखे को उसी तरह खत्म किया जैसे मेस्सी ने अर्जेंटीना के लिए 36 साल के बाद विश्व कप जीता था। मेस्सी को 2014 विश्व कप के फाइनल में शिकस्त का सामना करना पड़ा था तो वही श्रेयस को इस तरह के पल का सामना 2020 में करना पड़ा था जब उनकी कप्तानी में दिल्ली कैपिटल्स ने आईपीएल फाइनल का सफर तय किया था। आईपीएल ट्रॉफी उठाने के बाद श्रेयस ने टीम के अपने साथियों के साथ उसी तरह से जश्न मनाया जैसे मेस्सी ने दोहा में फीफा विश्व कप के फाइनल में फ्रांस को हराने के बाद मनाया था। फाइनल में केकेआर की जीत के बाद दिग्गज इयान बिशप ने कहा, ‘‘ मैं गौतम गंभीर के बारे में काफी बातें सुन रहा हूं कि उन्होंने टीम में शानदार माहौल बनाया। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस खिलाड़ी को पर्याप्त श्रेय मिल रहा है। हमें इसे श्रेय देना चाहिये।’’ केकेआर के लिए सलामी बल्लेबाजों सुनील नारायण और फिल सॉल्ट ने ज्यादा रन बनाये लेकिन जब भी मौका मिला दूसरे खिलाड़ियों ने भी अपने प्रदर्शन के स्तर को ऊंचा किया जिससे टीम ने लीग चरण में दो मैच बाकी रहते तालिका में शीर्ष पर अपना स्थान पक्का कर लिया था। केकेआर ने पूरे सत्र में सिर्फ तीन मैचों में हार का सामना किया। श्रेयस ने कहा, ‘‘ इस समय भावनाओं को व्यक्त करना काफी कठिन है। यह इंतजार काफी लंबा रहा। हम पूरे सत्र में अजेय की तरह खेले। इस समय यादों को संजोने के लिए बहुत कुछ है।’’ श्रेयस की यह सफलता उनके बचपन और मुंबई के कोच प्रवीण आमरे के लिए एक विशेष अहसास था, जिन्होंने 2014-15 में उनके पहले रणजी सत्र में इस बल्लेबाज को सातवें से तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजने का फैसला किया था। श्रेयस पर भरोसा करना आमरे के लिए सफल रहा। इस बल्लेबाज ने दिसंबर 2014 में ईडन गार्डन्स में बंगाल के खिलाफ मैच में 153 रन बनाये। यह प्रथम श्रेणी में उनका पहला शतक था। आमरे ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें उनके पूरे करियर (मुंबई में) में चुनौती दी। मुझे पता था कि वह कितने मजबूत इरादों वाले हैं और एक कोच के रूप में उन्हें चुनौती देना मेरा काम था। वह हमेशा चुनौतियों को सकारात्मक तरीके से लेना पसंद करता है।  वह एक अच्छा खिलाड़ी और टीम के लिए योगदान देने में तत्पर रहने वालों में से है। उसने पिछले एकदिवसीय विश्व कप में 530 रन बनाए थे।’’ केकेआर को फाइनल में पहुंचने के बाद श्रेयस इस लीग में पहले कप्तान बने जिन्होंने दो फ्रेंचाइजियों को फाइनल में पहुंचाया। वह पीठ की चोट से उबरने के लिए हुई सर्जरी के कारण पिछले सत्र में खेल से दूर रहे लेकिन इस सत्र उनकी वापसी टीम के लिए करिश्माई रही। श्रेयस के लिए इस साल का आगाज अच्छा नहीं रहा। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट श्रृंखला के शुरुआती दो मैचों में 140 रन बनाने के बाद आखिरी तीन मुकाबले के लिए उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। यह पता चला कि उनकी पीठ की दर्द उन्हें फिर से परेशान कर रही है। बीसीसीआई की मेडिकल टीम ने हालांकि उन्हें फिट करार दिया। श्रेयस उस समय विवादों में फंस गये जब उन्होंने मुंबई के लिए रणजी खेलने की जगह केकेआर के सत्र पूर्व शिविर से जुड़ने का आरोप लगा। वह हालांकि मुंबई के लिए सेमीफाइनल और फाइनल खेलने वापस लौटे। फाइनल में उन्होंने विदर्भ के खिलाफ दूसरी पारी में 95 रन बनाकर टीम की जीत की नींव रखी। उनके योगदान ने मुंबई को 42वीं बार रणजी चैम्पियन बनाया। बीसीसीआई ने इस दौरान उन्हें ग्रेड बी अनुबंध से बाहर कर दिया और बोर्ड सचिव जय शाह ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए खिलाड़ियों से घरेलू क्रिकेट पर आईपीएल को प्राथमिकता नहीं देने को कहा। श्रेयस के लिए आईपीएल की शुरुआत में खराब रही। वह सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ टीम अपने शुरुआती मैच में दो गेंदों पर शून्य पर आउट हो गए। उन्होंने इसके बाद कुछ महत्वपूर्ण पारियां खेली लेकिन उनके सारे प्रयास नारायण और साल्ट की विस्फोटक बल्लेबाजी के आगे फीका पड़ गये। वह 351 रन के साथ टीम के चौथे सबसे सफल बल्लेबाज रहे। अपने स्तर से बल्ले से औसत योगदान के बावजूद श्रेयस ने पूरे सत्र के दौरान ‘कैप्टन कूल’ की अपनी छवि बनाई और खुद के प्रदर्शन पर टीम की सफलता को तरजीह दी। सनराइजर्स के खिलाफ क्वालीफायर मुकाबले में 160 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होंने 58 रन की नाबाद आक्रामक पारी खेल टीम को आसान जीत दिलायी। आमरे ने कहा, ‘‘ एक खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने जिस तरह से टीम को संभाला वह सराहनीय है। वह एक कप्तान के तौर पर लगातार सुधार कर रहा है और खेल के विशेषज्ञ भी उनके नेतृत्व गुणों की सराहना कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि सफलता तुक्के से नहीं मिलती है। उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है, टीम को संभाला है। हां, उनके पास एक अच्छी टीम थी लेकिन आपको सभी खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लेना आना चाहिये।’’ भाषा आनन्द मोनामोना

 

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