स्मृति मंधाना : दूसरी बार बनी आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर

स्मृति मंधाना दूसरी बार बनीं साल की सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर, ऐसा करने वाली बनीं पहली भारतीय खिलाड़ी

स्मृति मंधाना : दूसरी बार बनी आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : January 30, 2022/12:32 pm IST

नई दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) अगर नौ साल की कोई बच्ची महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम में चुन ली जाए, 11 साल की उम्र में अंडर-19 में खेले और मात्र 15 साल की उम्र में सीनियर टीम में अपनी जगह बना ले तो उसका अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट में चमकता हुआ सितारा बन जाना कोई हैरत की बात नहीं है। लगभग डेढ़ दशक से क्रिकेट की इसी तरह की कई मंजिलें तय कर चुकीं स्मृति मंधाना दूसरी बार आईसीसी की क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने जाने के बाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं।

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बायें हाथ की 25 साल की इस बल्लेबाज को वर्ष 2021 के लिए आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया है। उन्होंने वर्ष 2021 में 22 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 38.86 की औसत से 855 रन बनाए, जिनमें एक शतक और पांच अर्धशतक शामिल हैं। मंधाना ने दूसरी बार यह सम्मान अपने नाम किया है। इससे पहले वह 2018 में भी सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर और सर्वश्रेष्ठ महिला वनडे क्रिकेटर रह चुकी हैं। मंधाना दो बार यह अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। इससे पहले झूलन गोस्वामी (2007) ने यह अवॉर्ड जीता है। वहीं यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह विश्व की दूसरी महिला क्रिकेटर हैं। उनसे पहले ऑस्ट्रेलिया की ऑलराउंडर एलिस पेरी दो बार (2017, 2019) यह गौरव हासिल कर चुकी हैं।

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स्मृति मंधाना का जन्म 18 जुलाई, 1996 को मुंबई में हुआ। वह मात्र दो साल की थीं, जब उनका परिवार महाराष्ट्र में सांगली जाकर बस गया और स्मृति की प्रारंभिक शिक्षा वहीं हुई। बड़े भाई को देखकर उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया और यह जान लेना अपने आप में दिलचस्प होगा कि वह मात्र नौ साल की उम्र में महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुनी गईं और 11 वर्ष की उम्र में अंडर-19 टीम में चुनी गईं।

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स्मृति की बल्लेबाजी और उनके खेल से जुड़े तमाम आंकड़े तो रिकार्ड की पुस्तिकाओं में दर्ज हैं, लेकिन उनके बारे में कुछ ऐसी बातें हैं जो ज्यादा लोगों को शायद मालूम न हों। स्मृति ने अपने भाई को देखकर बाएं हाथ से बल्लेबाजी करना शुरू किया। वैसे वह अपने सारे काम दाएं हाथ से करती हैं। शुरू में उनके पिता उनके लिए गेंदबाजी किया करते थे और वह जिद करतीं कि खूब तेज गेंद करें और धीमी गेंद फेंकने पर अकसर नाराज हो जाया करती थी।

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नौ बरस की उम्र में उन्होंने सिर्फ मजे के लिए ट्रायल में हिस्सा लिया और महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुन ली गईं। यह अलग बात है कि उन्हें मैच खेलने का मौका नहीं मिला। इतना जरूर हुआ कि उन्होंने क्रिकेट के बारे में संजीदगी से सोचना शुरू किया। 11 साल की उम्र में वह अंडर-19 टीम में चुन ली गईं और चार बरस बाद 15 साल की उम्र में सीनियर टीम की सदस्य बनीं और तब से टीम का अहम हिस्सा है। वर्ष 2016 में आईसीसी की महिला विश्व एकादश में चुनी गई वह अकेली भारतीय क्रिकेटर थीं। यह मंधाना की बेहतरीन बल्लेबाजी और चमकदार आंकड़ों का ही कमाल है कि पूर्व महिला क्रिकेटर शांता रंगास्वामी उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम की अगली कप्तान की आदर्श उम्मीदवार मानती हैं।

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एक समय था जब मंधाना मैथ्यू हेडन को अपना आदर्श मानती थीं और उन्हीं की तरह की बल्लेबाज बनना चाहती थी, लेकिन उनके कोच ने समझाया कि ताकत की बजाय टाइमिंग उनकी बल्लेबाजी की विशेषता है और उन्होंने अपनी बल्लेबाजी का अंदाज बदल दिया। मंधाना के लिए वह वाकई बहुत खुशी का दिन था, जब आस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 मुकाबलों में उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया और भारत ने पहली बार श्रृंखला जीती तो खुद मैथ्यू हेडन ने मंधाना की बल्लेबाजी की तारीफ की।

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खिलाड़ी का जिक्र उनके आंकड़ों के बिना अधूरा रह जाएगा। मंधाना के करियर की बात करें तो उन्होंने भारत के लिए चार टेस्ट, 62 वनडे और 84 टी20 मैच खेले हैं। टेस्ट में उन्होंने 46.42 की औसत से 325 रन बनाए जिसमें एक शतक और पांच अर्धशतक शामिल हैं। वनडे में उन्होंने 41.70 की औसत से 2377 रन बनाए जिसमें चार शतक और 19 अर्धशतक शामिल हैं। टी20 में उन्होंने 25.93 की औसत से 1971 रन बनाए जिसमें चार अर्धशतक उनके नाम दर्ज हैं।