टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे कंजूस गेंदबाज, जिन्होने लगातार 131 गेंदों तक अंग्रेजों को नही दिया एक भी रन

टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे कंजूस गेंदबाज, जिन्होने लगातार 131 गेंदों तक अंग्रेजों को नही दिया एक भी रन

टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे कंजूस गेंदबाज, जिन्होने लगातार 131 गेंदों तक अंग्रेजों को नही दिया एक भी रन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:55 pm IST
Published Date: January 12, 2020 7:36 am IST

नईदिल्ली। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा नाम जो अद्भुत रिकॉर्ड रखते हैं वे है बापू नादकर्णी। उन्हें सबसे कंजूस गेंदबाज के तौर पर हमेशा याद किया जाएगा, वह टेस्ट में लगातार 131 गेंदों में एक भी रन नहीं देने का कीर्तिमान रखते है। बापू नादकर्णी ने 56 साल पहले आज के ही दिन 12 जनवरी को यह कारनामा किया था।

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बापू नादकर्णी 87 साल के हैं। बापू ने अंग्रेजों को रन के लिए तरसाया था। बापू ने अपनी लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाजी की बदौलत 1964 में मद्रास के नेहरू स्टेडियम में अंग्रेजों को रन के लिए तरसा दिया था, यहां खेले गए टेस्ट मैच के दौरान उन्होंने एक के बाद एक 131 गेंदें फेंकीं, जिन पर एक भी रन नहीं बना।

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उस पारी में उन्होंने कुल 32 ओवरों में 27 मेडन फेंके, जिनमें लगातार 21 मेडन ओवर थे और 5 रन ही दिए, उनका गेंदबाजी विश्लेषण रहा- 32-27-5-0।

मद्रास टेस्ट में बापू नादकर्णी के चार स्पेल इस प्रकार से थे..

पहला स्पेल: 3-3-0-0

दूसरा स्पेल: 7-5-2-0

तीसरा स्पेल: 19-18-1-0

चौथा स्पेल: 3-1-2-0

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वे नेट्स पर सिक्का रखकर गेंदबाजी करते थे, उनकी बाएं हाथ की फिरकी इतनी सधी थी कि गेंद वहीं पर गिरती थी, टेस्ट करियर में बापू की 1.67 रन प्रति ओवर की इकोनॉमी रही, बापू 41 टेस्ट खेले, 9165 गेंदों में 2559 रन दिए और 88 विकेट झटके।

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क्रिकेट के हर डिपार्टमेंट में माहिर बापू न सिर्फ अपने स्पिन से बल्लेबाजों को बांधा, बल्कि उनकी बल्लेबाजी भी गजब की थी, वे एक हिम्मती फील्डर भी थे, जो फील्ड पर बल्लेबाज के सामने खड़े होते थे, बापू ने इंग्लैंड के खिलाफ 1963-64 सीरीज में कानपुर में नाबाद 122 रनों की पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com