मुंबई, 31 मई (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि कक्षा 10वीं (एसएससी) और कक्षा 12वीं (एचएससी) की परीक्षाओं की तुलना नहीं की जा सकती है, क्योंकि 12वीं कक्षा की परीक्षा विद्यार्थियों के लिए अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण होती है और उनका करियर इस पर ज्यादा निर्भर करता है।
राज्य सरकार ने अपने शपथपत्र में कहा कि छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और अन्य हितधारकों की सुरक्षा पर विचार करने के बाद कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच इस वर्ष 10वीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द किया गया है।
यह शपथपत्र राज्य के स्कूल शिक्षा एवं खेल विभाग के उप सचिव राजेंद्र पावा की ओर से दायर किया गया है। यह प्रोफेसर धनजंय कुलकर्णी द्वारा इस वर्ष 10वीं की परीक्षाओं को रद्द करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका के जवाब में दायर किया गया है।
अदालत ने इस पर स्पष्टीकरण मांगा था कि सरकार 12वीं कक्षा की परीक्षा क्यों आयोजित करा रही है।
राज्य सरकार के शपथपत्र में कहा गया है कि 12वीं कक्षा की परीक्षाएं फिलहाल स्थगित की गई हैं और इस पर अंतिम निर्णय केंद्र द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर फैसला करने के बाद लिया जाएगा।
हलफनामे में कहा गया है, “12वीं की बोर्ड परीक्षाएं छात्रों की शिक्षा में अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि उनके भविष्य का करियर 10 वीं कक्षा की परीक्षा की तुलना में 12वीं की परीक्षा पर निर्भर करता है।”
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि कोविड -19 के मामलों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है, लेकिन स्थिति अब भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर दबाव है।
इसने यह भी कहा कि महामारी की तीसरी लहर का खतरा है और चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह लहर 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित कर सकती है।
शपथपत्र में कहा गया है कि छात्रों का मूल्यांकन कैसे किया जाए, इस पर सरकार को एक फॉर्मूला भी लाना होगा।
अदालत मामले की अगली सुनवाई एक जून को कर सकती है।
भाषा
नोमान माधव
माधव
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