कोरोना इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली ‘कृष्णपटनम दवा’ को क्लीन चिट, राज्य सरकार ने कहा हमे कोई आपत्ति नहीं | Andhra Pradesh govt says there is no objection to use of 'Krishnapatnam medicine'

कोरोना इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली ‘कृष्णपटनम दवा’ को क्लीन चिट, राज्य सरकार ने कहा हमे कोई आपत्ति नहीं

कोरोना इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली ‘कृष्णपटनम दवा’ को क्लीन चिट, राज्य सरकार ने कहा हमे कोई आपत्ति नहीं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : May 23, 2021/4:06 pm IST

अमरावती, 23 मई (भाषा) आंध्र प्रदेश सरकार ने रविवार को कहा कि प्रथम दृष्टया उसे आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने वाले बी आनंदैया को उनकी परंपरागत पद्धति का इस्तेमाल करने देने में कोई आपत्ति नहीं है। इस दवा को लोगों ने ‘कृष्णपटनम दवा’ कहना शुरू कर दिया है। सरकार हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला तब करेगी जब राज्य आयुष विभाग के विशेषज्ञों का दल इस पर अपनी रिपोर्ट सौंप देगा।

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प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अनिल कुमार सिंघल ने कहा, “परंपरागत पद्धति जो पिछले कई सालों से चल रही है उसे बरकरार रखने में कोई आपत्ति नजर नहीं आ रही। वह पिछले कई सालों से इस परंपरागत पद्धति का उपयोग कर रहे हैं। इसे आयुर्वेदिक दवा घोषित किये बिना जारी रखने में कोई आपत्ति नहीं है।” उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर यह एक दवा है तो विभिन्न जांचों, नैदानिक परीक्षणों और अन्य प्रक्रियाओं के जरिये इसे सत्यापित करने की एक व्यवस्था है।

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अनिल ने कहा, “इसे कोविड के उपचार की आयुर्वेदिक दवा घोषित किये बिना, कोई भी स्वास्थ्य पूरक या परंपरागत प्रणाली लोगों की मान्यता पर निर्भर करती है। अगर इसमें कोई हानिकारक सामग्री नहीं है को इसे नियंत्रित करने या पाबंदी लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है।” आनंदैया द्वारा दी जा रही तथाकथित कृष्णपटनम दवा का अब तक कोई (नकारात्मक) प्रभाव नहीं मिला और इसकी तैयारी में इस्तेमाल हो रही सभी सामग्री सुरक्षित प्रमाणित हो चुकी हैं।

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प्रमुख सचिव ने कहा, “हमारी टीम उन लोगों और उनके संपर्कों की निगरानी कर रही है जिन्होंने इसका इस्तेमाल किया जिससे पता चल सके कि इसका नकारात्मक प्रभाव है या सकारात्मक। तिरुपति में आयुर्वेदिक कॉलेज का एक दल भी इस काम में जुटा है। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।”

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के कृष्णपटनम गांव में आनंदैया बीते एक महीने से अपनी पद्धति से लोगों का उपचार कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर इसको लेकर काफी चर्चा हो रही थी और इस वजह से गांव में लोगों की काफी भीड़ उमड़ रही थी। उनके द्वारा लोगों को दी जा रही ‘दवा’ का वितरण शनिवार से रोक दिया गया था और विशेषज्ञों का एक दल इसकी प्रभावशीलता जानने के लिये जांच कर रहा है।