रायपुर। छत्तीसगढ़ की रमन सरकार अभी से चुनावी मोड़ में आ गई है । एक तरफ लगातार यात्राओं का दौर चल पड़ा है..तो दूसरी ओर मंथन और मीटिंग्स का सिलसिला भी जारी है । बीते रविवार को राजधानी में बीजेपी की एक समीक्षा बैठक हुई..इस बैठक में यात्राओं से मिले फीडबैक के आधार पर बीजेपी के आला नेताओं ने ये दावा किया है कि सरकार के खिलाफ कोई असंतोष नहीं है..वहीं अंदरुनी सूत्र ये बताते हैं कि जनसंपर्क यात्रा के दौरान पार्टी विधायकों के खिलाफ असंतोष उभरकर सामने आया है । खबर तो ये भी है कि कमजोर विधायकों की पूरी कुंडली तैयार हो गई है..अब सवाल यही है कि क्या इस बार टिकट का आधार परफॉरमेंस होगा..या एक बार फिर जातीय और गुटीय समीकरण के आधार पर तय होगी उम्मीदवारी?
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मिशन 2018…टारगेट-65..और चौथी जीत की चुनौती । जीत का चौका लगने में ज़रा भी चूक न हो..इस मकसद से छत्तीसगढ़ बीजेपी ने टॉप गियर पकड़ लिया है । रणनीतियों पर अमल हो रहा है या नहीं..ये जांचने के लिए आला नेता लगातार बैठकें कर रहे हैं..ऐसी ही एक बैठक बीते रविवार को हुई…जिसमें सीएम रमन सिंह के अलावा राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह ने भी शिरकत की । बैठक में अगले 2 माह की रणनीति तय की गई । एक अहम फैसला ये हुआ कि 1 मई से सीएम रमन सिंह विकास यात्रा पर रवाना होंगे । यात्राओं के ज़रिए पार्टी चुनाव आने तक जनता से सीधा संवाद करना चाहती है..ताकि उनकी भावनाओं की थाह ले सके..उसके असंतोष को समझ सके । हाल में ही सुराज और जनसंपर्क यात्रा का समापन हुआ । पार्टी अध्यक्ष का ये दावा है कि ये दोनों ही यात्राएं बेहद कामयाब रहीं..और पार्टी को इनके ज़रिए ज़मीनी फीडबैक हासिल हुआ ।
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पार्टी नेतृत्व ने ये दावा भी किया है कि यात्राओं के ज़रिए एक बात निकलकर आई है कि सरकार या सीएम के खिलाफ कोई असंतोष नहीं है । हालांकि अंदरुनी सूत्र ये बताते हैं कि जनसंपर्क यात्राओं के दौरान बहुत से जगहों पर विधायकों को लोगों की नाराज़गी और असंतोष का सामना करना पड़ा है । ज़ाहिर है..जो विधायक लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं..उनका रिपीट होना मुश्किल है । विधायकों के प्रदर्शन के आधार पर पार्टी ने उनकी रैंकिंग तैयार की है..उन्हें ए, बी, सी और डी चार कैटेगरीज में बांटा भी है । सबसे कमजोर परफारमेंस वाले विधायकों को डी ग्रेड में रखा गया है । कहा जा रहा है कि पार्टी के दर्जन भर से ज्यादा विधायकों को डी कैटेगरी में जगह मिली है..जिनका टिकट कटना तय ही है..क्योंकि पार्टी हारने वाले घोड़ों पर ही शायद ही दांव लगाना चाहेगी । हालांकि पार्टी नेतृत्व ने ये कहकर सबको अभयदान देने की कोशिश की है..कि जन असंतोष को दूर करने के लिए उनके पास 5-6 महीने का वक्त है पर सवाल तो यही है कि जो काम चार साल में नहीं हो पाए..वो 4 माह में कैसे हो पाएंगे ?
वेब डेस्क, IBC24
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