आगरा का छत्रपति शिवाजी संग्रहालय ब्रज क्षेत्र के इतिहास और कलाकृतियों को भी समेटेगा : अधिकारी

आगरा का छत्रपति शिवाजी संग्रहालय ब्रज क्षेत्र के इतिहास और कलाकृतियों को भी समेटेगा : अधिकारी

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  • Publish Date - September 16, 2020 / 09:58 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

लखनऊ, 16 सितंबर (भाषा) मराठा योध्दा छत्रपति शिवाजी के नाम पर बनने वाला आगरा का संग्रहालय :मुगल संग्रहालय: अब उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र की कलाकृतियों और इतिहास को समेटे होगा।

अपर मुख्य सचिव गृह और सूचना अवनीश अवस्थी ने बुधवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि ब्रज क्षेत्र आगरा मंडल के अन्तर्गत आता है। ब्रज क्षेत्र और आगरा मंडल को संग्रहालय में शामिल करते हुये जल्दी से काम शुरू करेंगे ।

ब्रज को बृज या बृज भूमि भी कहते हैं और यह मथुरा और वृंदावन के आसपास स्थित है। यह भगवान कृष्ण की नगरी मानी जाती है। यह इलाका मथुरा से आरंभ होकर जलेसर, आगरा, हाथरस और अलीगढ. से एटा, मैनपुरी और फर्रूखाबाद जिलों तक फैला है ।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 14 सितंबर को आगरा में मुगलों की विशेष उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाले ‘मुगल संग्रहालय’ का नाम बदल कर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर रखने का आदेश दिया था।

लखनऊ में आगरा मंडल के विकास कार्यों की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री यह आदेश दिए थे ।

एक सरकारी बयान के मुताबिक उन्होंने जोर देते हुए कहा था ‘मुगल हमारे नायक कैसे हो सकते हैं।’ छत्रपति शिवाजी का नाम राष्ट्रवाद और आत्मसम्मान की भावना का संचार करेगा।

इस बीच, उप्र के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बुधवार को पीटीआई-भाषा से कहा कि इस परियोजना की संकल्पना वर्ष 2015 में तैयार की गयी थी और इसे 2017,,18 तक पूरा होना था ।

उन्होंने कहा, ‘‘आगरा में एक व्याख्या केंद्र:इन्टरप्रेटेशन सेंटर: बन चुका है, जिसमें ताजमहल और अन्य ऐतिहासिक इमारतों के बारे में वीडियो, किताबे और अन्य सामग्री रखी है। विदेशी नागरिकों के लिये उनकी भाषा में स्थानीय कला, संस्कृति,शिल्प और देश की विरासत के बारे में सारी जानकारी यहां उपलब्ध है। यहां पर आगरा के अलावा ब्रज क्षेत्र की कला और शिल्प के बारे में भी कई स्टॉल हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या शुरूआती योजना में इसमें ब्रज शामिल था तो उन्होंने कहा, ”मेरी समझ से यह शामिल था।”

संग्रहालय बनाये जाने के उददेश्य के बारे में आलोक रंजन ने बताया, ‘‘इसका उददेश्य यह था कि आगरा पर्यटन के क्षेत्र में उप्र का सबसे बड़ा राजस्व का केंद्र है लेकिन हमारे सामने समस्या यह आ रही थी कि आगरा को उतना राजस्व नहीं मिल रहा था क्योंकि दिल्ली के लोग यहां का राजस्व ले जाते है । दिल्ली से पर्यटक बुकिंग कराकर आते हैं, आगरा में घूमते हैं और वापस लौट जाते हैं। पर्यटक आते हैं, ताजमहल देखते हैं और वापस दिल्ली लौट जाते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि होटल उदयोग, रेस्टोरेंट, दुकानदारों और शिल्पकारों को कोई लाभ नही पहुंचता है।”

रंजन ने बताया, ” हमें राजस्व तभी मिलेगा जब लोग आगरा में रात गुजारेंगे और उनके लिये रात को देखने के लिये कुछ होना चाहियें । कोई भी पर्यटक कब तक ताजमहल को ही देखता रहेगा? तब ताजमहल के इर्द-गिर्द का सारा इलाका विकसित करने का विचार आया और हमने वहां व्याख्या केंद्र बनाया जिसमें आगरा के बारे में वीडियो, किताबें और अन्य सामग्री रखवाई । इसके एक हिस्से में मुगल संग्रहालय भी बनवाया गया, इसके पीछे विचार यह था यहां मुगल काल का इतिहास, कला, संस्कृति, शिल्प और साहित्य संजो कर रखी जायें और यह स्थान लोगों के आकर्षण का केंद्र बनें।”

भाषा अरूणव पवनेश दिलीप

दिलीप