मथुरा/लखनऊ, सात अक्टूबर (भाषा) दिल्ली से हाथरस जाते समय सोमवार को मांट टोल चौकी पर तलाशी के दौरान हिरासत में लिए गए केरल के एक पत्रकार सहित चार संदिग्ध युवकों के खिलाफ देशद्रोह सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद बुधवार को उन्हें मथुरा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जिला कारागार भेज दिया गया।
मथुरा पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार की रात यमुना एक्सप्रेस-वे से हाथरस जाते समय मांट टोल पुलिस चौकी पर वाहनों की जांच के दौरान एक कार में सवार चार युवकों को उनकी संदिग्ध गतिविधियों को आधार पर पहले हिरासत में लिया गया। बाद में, उनके पीएफआई जैसे संदिग्ध संगठनों से जुड़े होने का पता चलने तथा उनके कब्जे से संदिग्ध साहित्य और अन्य सामग्री प्राप्त होने पर उनके खिलाफ देशद्रोह, भड़काऊ सामग्री रखने और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने जैसे गंभीर मामलों में मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार लोगों में केरल के मलप्पुरम निवासी पत्रकार सिद्दीक कप्पन, मुजफ्फरनगर निवासी अतीक उर रहमान, बहराइच निवासी मसूद अहमद और रामपुर निवासी आलम शामिल हैं।
मथुरा के अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्रीचन्द्र ने कहा, ‘तलाशी के दौरान इन लोगों के कब्जे से एक लैपटॉप, छह मोबाइल फोन और शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला संदिग्ध साहित्य भी मिला है।
आरोप है कि ये लोग हाथरस की घटना की रिपोर्टिंग करने के बहाने वहां जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काने चाहते थे।
उन्होंने बताया कि बुधवार को सभी आरोपियों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंजू राजपूत के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिन्होंने उन्हें अगले चौदह दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को बेवजह फंसाने का आरोप लगाते हुए इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पत्रकार की रिहाई की मांग की है। इसके अलावा संगठन ने उच्चतम न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी दाखिल की है।
द प्रेस एसोसिएशन और इंडियन वुमन प्रेस कॉर्प्स ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रेस को खामोश कराने की कोशिश करार देते हुए उनकी तुरंत रिहाई की मांग की है
दोनों संगठनों ने एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार यह दावा कर रही है कि पत्रकार कप्पन का कुछ उग्रवादी संगठनों से संबंध है लेकिन वह इस सिलसिले में कोई सबूत पेश नहीं कर पा रही है।
अपर पुलिस अधीक्षक श्रीचंद्र ने कहा, ‘इन सभी आरोपियों के खिलाफ मांट थाने में भादंवि की धारा 153 (ए), 295 (ए) व 124 (ए); गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा 17/18 एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं 65/72 व 76 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।’’
इस बारे में पुलिस का कहना है कि इन लोगों का संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों से है।
पुलिस का दावा है कि जांच में यह पाया गया है कि ये चारों लोग एक साजिश के तहत हाथरस जा रहे थे और उनका इरादा माहौल को खराब करने का था। यह भी पाया गया है कि वे एक वेबसाइट चला रहे थे जिसके जरिए चंदा इकट्ठा किया जाता था और इसके जरिए वे जातीय तथा सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे थे।
पुलिस के मुताबिक जांच में यह भी सामने आया है कि इस वेबसाइट के जरिए चंदा मांगने का काम भी वैध तरीके से नहीं किया जा रहा था। वेबसाइट द्वारा इकट्ठा किए गए धन का इस्तेमाल समाज में हिंसा भड़काने में किया जा रहा था।
पुलिस सूत्रों का दावा है कि पकड़े गए चारों लोगों के पास से बरामद पर्चों में लिखी बातों से जाहिर होता है कि उनका इस्तेमाल माहौल को खराब करने और हाथरस मामले में सामूहिक बलात्कार की अफवाह फैलाने में किया गया। इसके अलावा वेबसाइट का इस्तेमाल भी युवाओं के बीच राष्ट्र विरोधी भावना पैदा करने में किया जा रहा था।
उन्होंने कहा कि इस बात की जांच की जा रही है कि यह वेबसाइट कहां से और क्यों संचालित की जा रही है। इसके जरिए अभी तक कितना धन इकट्ठा किया जा चुका है। उसका कहां इस्तेमाल किया गया है और कौन-कौन इसके लाभार्थी हैं।
पीएफआई पर राजधानी लखनऊ में पिछले साल 19 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में हिंसा फैलाने का आरोप लगा था और प्रदेश पुलिस ने उस पर पाबंदी लगाने की मांग की थी।
भाषा सं अभिनव सलीम नेत्रपाल
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