पुणे, आठ जून (भाषा) महाराष्ट्र के पुणे जिले के उरावडे गांव के नजदीक स्थित रासायनिक संयंत्र में जब आग लगी तब बबन मारगले वहीं थे। बबन और उनकी पत्नी मंगल वहीं काम करते थे।
बबन ने संवाददाताओं को बताया कि वह अपनी पत्नी को बचाने के लिये कुछ नहीं कर पाए क्योंकि जिस जगह वह काम करती थी, उस इमारत के दरवाजे बंद थे।
पुणे से 40 किलोमीटर दूर मुलशी तहसील स्थित ‘एसवीएस एक्वा टेक्नोलॉजीज’ के रासायनिक संयंत्र में सोमवार को लगी आग में बबन की पत्नी मंगल (28) समेत कुल 17 कर्मचारियों की मौत हो गई। मृतकों में अधिकतर महिलाएं शामिल हैं।
भीषण आग के बावजूद स्थानीय लोगों ने जेसीबी मशीनों की मदद से इमारत की एक दीवार को तोड़ दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
दो बच्चों के पिता बबन ने कहा, ‘‘मेरी पत्नी पिछले करीब डेढ़ साल से यहां काम कर रही थी। बीमार होने के कारण डेढ़ महीने के अंतराल के बाद काम पर पुन: लौटने के बाद उसका यह पहला दिन था। कंपनी के अधिकारियों से अनुमति लेने के बाद उसने कल ही काम शुरू किया था।’’
चौंतीस साल के बबन ने कहा, ‘‘हमारा छह से सात कर्मचारियों का समूह जैसे ही अपने ब्लॉक से बाहर आया। कुछ ही क्षणों के भीतर आग हर जगह फैल गयी। इमारत के दरवाजे बंद होने के कारण कोई कुछ नहीं कर पाया।’’
मंगल का शव लेने अस्पताल आए बबन के चाचा संभाजी गवाडे ने कहा कि कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। गवाडे ने तहसील के सभी कारखानों में सुरक्षा संबंधी जांच कराने की भी मांग की।
इस हादसे में जान गंवाने वाली गीता दिवाडकर (40) नामक एक अन्य पीड़ित महिला के भाई समीर कानजने ने कहा कि वह पिछले करीब छह महीनों से कंपनी में काम कर रही थी। आग इतनी भीषण थी कि कई लोगों के शव बुरी तरह से जल गए हैं, इसलिए पहचान के लिए डीएनए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के मुख्य अग्निशमन अधिकारी देवेन्द्र पोटहोड ने बताया कि कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक आग लगने के समय संयंत्र में कुल 37 कर्मचारी मौजूद थे। कुछ कर्मचारी बचकर बाहर निकल आए, लेकिन 17 कर्मचारी भीतर ही फंस गए और उनकी मौत हो गयी।
भाषा
रवि कांत दिलीप
दिलीप
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