शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी के गुरुद्वारे जाने पर ली चुटकी, कहा- इससे किसानों के प्रदर्शन का क्या नतीजा निकलेगा

शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी के गुरुद्वारे जाने पर ली चुटकी, कहा- इससे किसानों के प्रदर्शन का क्या नतीजा निकलेगा

  •  
  • Publish Date - December 22, 2020 / 08:28 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:00 PM IST

मुंबई, 22 दिसंबर (भाषा) शिवसेना ने मंगलवार को पूछा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारा जाने और गुरुतेग बहादुर से प्रेरणा लेने की अपील से किसानों के प्रदर्शन का क्या नतीजा निकलेगा, जिसमें उनके अनुयायी शामिल हैं।

Read More News: MP KI Baat: छापे की सियासी रिपोर्ट! क्या बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के नाम आने के कारण सरकार

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के मराठी संस्करण में एक संपादकीय में मोदी के रविवार को गुरुद्वारा जाने और गुरु तेग बहादुर को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिये श्रद्धांजलि अर्पित करने का जिक्र किया गया है।

गुरु तेग बहादुर की रविवार को पुण्यतिथि थी। गुरुद्वारा रकाबगंज में उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

Read More News: कांकेर में सीताफल पल्प प्रोसेसिंग मशीन से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं, नीति आयोग ने की स्व सहायता समूहों की 

सिखों समेत हजारों किसान मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 सितंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

संपादकीय में कहा गया है कि मोदी के गुरुद्वारा जाने पर भी किसान टस से मस नहीं हुए और सिख किसानों के साथ प्रदर्शन जारी रखा।

Read More News: कांग्रेस विधायक दल की बैठक संपन्न, विधानसभा में मोतीलाल वोरा को श्रद्धांजलि देने के बाद दुर्ग रवाना होंगे सभी कांग्रेस नेता

संपादकीय में कहा गया है, ”प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु तेग बहादुर से प्रेरणा लेने की अपील की है। सुनकर खुशी हुई। हजारों सिख योद्धा उन्हीं से प्रेरणा लेकर दिल्ली सीमा के निकट लड़ाई लड़ रहे ( आंदोलन) हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इस लड़ाई का क्या नतीजा निकलता है। ”

संपादकीय में लिखा है कि मोदी के गुरुद्वारा पहुंचने पर ‘गुरबाणी’ हो रही थी। गुरबाणी कहती है कि अगर कोई अपने विचार नहीं बदलता है, तो भगवान की सेवा और उसके प्रति श्रद्धा किसी काम की नहीं है। इसमें लिखा है कि पवित्र धार्मिक ग्रंथ को कितनी भी बार पढ़ लीजिये अगर इससे आपको सीख नहीं मिलती, तो इसका कोई फायदा नहीं है। साथ ही यह भी सवाल किया गया है कि अगर किसी का समय आ गया है और उसे अपने कर्मों का हिसाब-किताब देना पड़े तो वह क्या करेगा।

Read More News: किसान संगठन मंगलवार को करेगी केंद्र सरकार के साथ बातचीत का फैसला, बिहार के किसानों से भी आंदोलन में जुड़ने 

संपादकीय में कहा गया है कि गुरबाणी में बताया गया है कि समय के आगे किसी का जोर नहीं चल सकता।