बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा पर्व में अदा की गई ‘काछनगादी’ रस्म, राज परिवार ने दशहरे की शुरूआत करने ली इजाजत
बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा पर्व में अदा की गई 'काछनगादी' रस्म, राज परिवार ने दशहरे की शुरूआत करने ली इजाजत
जगदलपुर। बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा पर्व में शनिवार को काछनगादी रस्म अदा की गई। परम्परानुसार राज परिवार ने देवी काछन से बस्तर दशहरे की शुरूआत करने की इजाजत ली। इस बार अनुराधा ने बेल के कांटेदार झूले में बैठकर काछन देवी के रूप में राजपरिवार को सुरक्षित दशहरा मनाने आशीर्वाद दिया। जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचे थे।
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बता दें कि परम्परा अनुसार बस्तर का राजपरिवार शांतिपूर्ण तरीके से दशहरा मनाने देवी ,,काछन,, का आशीर्वाद लेते थे, आज भी यह परम्परा जारी है। इस बार भी अनुराधा ने बेल के कांटेदार झूले में बैठकर काछनदेवी के रूप में राजपरिवार को आशीर्वाद दिया। रस्म के बाद झूले में लगे फूल और कांटो को श्रद्धालु देवी के आर्शीवाद के रूप अपने घर ले गये। बस्तर दशहरे में यह रस्म बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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मान्यता यह है कि राजा ने तत्कालीन व्यवस्था में छोटी समझे जाने वाली जाति को महत्व देने के लिए इस परम्परा की शुरूआत की और राजा खुद देवी का आशीर्वाद लेने जाते थे, बिना देवी के आशीर्वाद के बस्तर दशहरा पर्व शुरू ही नहीं होता था। इस रस्म को देखने हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। काछनगादी रस्म के साथ ही दशहरे के पर्व की धूमधाम से शुरूआत हो गई है, इसके बाद दशहरे पर्व में सिलसिलेवार विजयदशमी तक विभिन्न आयोजन किये जाएंगे।
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