मध्य प्रदेश के संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएगी चंबल के कुख्यात डाकुओं और पुलिस की दास्तान | The story of notorious bandits and police of Chambal to be displayed at Museum of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएगी चंबल के कुख्यात डाकुओं और पुलिस की दास्तान

मध्य प्रदेश के संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएगी चंबल के कुख्यात डाकुओं और पुलिस की दास्तान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : January 31, 2021/9:19 am IST

भोपाल, 31 जनवरी (भाषा) मध्य प्रदेश के चंबल के बीहडों में कभी आतंक का पर्याय रहे कुछ कुख्यात डाकुओं और इस दस्यु आतंक का खात्मा करने के पुलिस के प्रयासों की दास्तान को भिंड जिले के एक संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।

यह जानकारी अधिकारियों ने दी है।

उन्होंने कहा कि दस्यु सुंदरी से सांसद बनी फूलन देवी, डाकू मलखान सिंह और एथलीट से दस्यु बने पान सिंह तोमर उन लोगों में शामिल हैं जिनके जीवन की कहानियों का संग्रहालय में उल्लेख मिलेगा।

भिंड के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस संग्रहालय के अगले महीने खुलने की संभावना है और मध्य प्रदेश पुलिस के जवान इसकी स्थापना के लिए धन दान कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अब तक चंबल के बीहड़ों के डाकुओं का महिमामंडन किया जाता रहा है। अब इन डाकुओं के आतंक के पीड़ितों के साथ-साथ उन पुलिसकर्मियों को सुर्खियों में लाया जाएगा, जिन्होंने इस आतंक का खात्मा करने के लिए लड़ाई लड़ी।’’

सिंह ने बताया कि यह आम धारणा बन चुकी है कि कुछ लोग अत्याचार एवं यातनाएं झेलने के बाद निराश होकर डाकू बने। लेकिन इस दस्यु आतंक के पीड़ितों को जो परेशानी झेलनी पड़ी, वह अब तक प्रकाश में नहीं आई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, इन डाकुओं से लड़ने वाले पुलिस बल के नायक भी गुमनाम बने हुए हैं। यह सब संग्रहालय में, सार्वजनिक डोमेन में लाया जाएगा।’’

सिंह ने बताया कि भिंड पुलिस चंबल के डाकुओं के इतिहास को एक संग्रहालय के जरिये लोगों को बताना चाहती है और संदेश देना चाहती है कि हिंसा से हमेशा नुकसान ही होता है, इससे किसी का फायदा नहीं होता है। इसके अलावा, इसका उद्देश्य अपराध की दुनिया में कदम रखने वालों को सबक और संदेश देना भी है।

चंबल रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक राजेश हिंगणकर ने कहा, ‘‘इस संग्रहालय में चंबल से डाकुओं को खत्म करने में जान गंवाने वाले 40 से अधिक पुलिसकर्मियों और अधिकारियों का डेटाबेस होगा। उनकी तस्वीरों और पदकों को भी इसमें दिखाया जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि डाकुओं और उनसे पीड़ित लोगों के जीवन को प्रदर्शित करने के लिए एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई जाएगी।

सिंह ने कहा कि भिंड की पुलिस लाइन स्थित छह से सात कमरों में यह संग्रहालय स्थापित किया जा रहा है। अब तक पुलिस कर्मियों ने इसके लिए तीन लाख रुपये दान दिए हैं।

उन्होंने बताया, ‘‘हम चाहते हैं कि चंबल क्षेत्र के युवा बंदूक और हिंसा छोड़ दें।’’

भाषा रावत मानसी

मानसी

 

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