गांव वालों ने किया पंच सहित एक परिवार का सामाजिक बहिष्कार, दबंगई ऐसी कि पुलिस और कानून की भी नही चली

गांव वालों ने किया पंच सहित एक परिवार का सामाजिक बहिष्कार, दबंगई ऐसी कि पुलिस और कानून की भी नही चली

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  • Publish Date - November 27, 2019 / 09:19 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

दुर्ग। हम आजाद भारत में संविधान और लोकतंत्र की बात करते है। जहाँ पर देश के सभी नागरिकों को सामान अधिकार प्राप्त है, पर आज भी देश के गाँव में चंद हुक्मरान अपना कानून चला रहे हैं। जहाँ संविधान और नागरिक अधिकारों की धज्जियाँ खुले आम उड़ती देखी जा सकती है। हम बात कर रहे है, दुर्ग जिले के पाटन के ग्राम रीवागहन की, जहाँ पर साहू परिवार के 16 सदस्यों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है। और परिवार अपनी जरूरतों के लिए मोहताज है।

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प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक परिवार को घर के बाहर शौचालय बनवाने की सजा सामाजिक बहिष्कार तक ले जा सकती है। ये बात सुनने में अजीब सी जरुर लग सकती है। पर यह हकीकत दुर्ग जिले के पाटन ब्लाक के ग्राम रीवागहन की है। जहाँ एक परिवार के 16 सदस्यों को इसकी सजा भुगतनी पड़ रही है। मासूम बच्चों के साथ दिखने वाले परिवार के सदस्य अपने हक़ की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन्हें बस समाज में सभी के साथ समान हक़ और बराबरी से जीने की चाहत है।

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दरअसल, गांव के कुछ दबंग व रसूखदारों ने इनके अधिकारों पर गैर लोकतान्त्रिक ग्रहण लगा दिया है। साहू परिवार का कसूर बस इतना था कि उन्होंने अपने आँगन में गेट और शौचालय का निर्माण कराया था। जिसको लेकर गाँव के कुछ लोगों द्वारा आपत्ति की गयी। अब परिवार अपनी जरूरतों को गांव से दो किलोमीटर दूर जाकर पूरा करता है। पीड़ित परिवार में 16 सदस्य हैं। जिसमे गाँव की एक पंच के साथ स्कूली बच्चे भी शामिल हैं।परिवार के स्कूली बच्चों से भी गाँव में पढाई सम्बंधित कोई बातचीत नही करते हैं। और दूसरे गाँव के बच्चों से पढाई संबधी जानकारी लेनी पड़ती है।

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गांव वालों का आरोप है कि शौचालय निर्माण शासकीय भूमि पर कराया गया है। लेकिन पटवारी की जाँच में निर्माण को पटवारी द्वारा वैध भी करार दिया गया। बावजूद सरकारी आदेश को धत्ता बत्ता बताते हुए अपने आप को गाँव के हुक्मरान समझने वाले लोगों ने इस पर निजी आपत्ति दर्ज करते हुए इनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया। इसके बाद उन्होंने गाँव में बैठक करके पीड़ित परिवार पर अर्थदंड भी लगा दिया, दंड देने के बाद भी इनकी प्रताड़ना कम नही हुई।

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गांव के लोगों की बैठक बुला कर इनके साथ किसी भी तरह की बातचीत लेन देन व्यवहार बंद करवा दिया गया और फरमान न मानने वालों पर भी अर्थदंड लगा दिया। वहीं इस आदेश को बीते लगभग आठ महीने हो चुके हैं। बच्चों को पिलाने के लिए गाय दूध निकालने वाला गांव का यादव भी घर नहीं आता। डॉक्टरों को भी इलाज के लिए मना कर दिया गया है। पीड़ित परिवार एसपी, कलेक्टर, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री,सांसद समेत कई दरवाजे पर अपनी गुहार लगा चुके हैं। पर अब तक इस मामले में उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है।

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इस मामले को लेकर परिवार ने दुर्ग एसपी से गुहार लगाई। पुलिस के संज्ञान में आते ही जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर पुलिस विभाग के आला अधिकारी ग्राम रीवागहन पहुंचे और ग्रामवासियों और साहू परिवार के सदस्यों के साथ बैठक लेकर उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन गांव वालों ने पुलिस वालों की बात मानने से इनकार कर दिया। पुलिस ने उचित सलाह और दिशा निर्देश देकर कानून का पालन करने की हिदायत गांव वालों को दी है।