हाईपावर रिपोर्ट पर एक घंटे मंथन, सस्पेंस बरकरार
हाईपावर रिपोर्ट पर एक घंटे मंथन, सस्पेंस बरकरार
रायपुर। शिक्षाकर्मियों के संविलियन की मांग को लेकर हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट पर आज शाम मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने अधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है इस दौरान प्रारंभिक चर्चा ही हुई, जिसमें अन्य राज्यों में हुए संविलियन और उससे पड़ने वाले वित्तीय बोझ आदि पर विचार-विमर्श हुआ।
इस बैठक में मुख्य सचिव अजय सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अमन सिंह, एसीएस पंचायत आरपी मंडल, अमिताभ जैन, रोहित यादव, गौरव द्विवेदी, सचिव रजत कुमार मौजूद थे।
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बता दें कि छत्तीसगढ़ के करीब डेढ़ लाख शिक्षाकर्मी बरसों से अपनी 9 सूत्री मांगों को लेकर इंतजार कर रहे हैं। संविलियन शिक्षाकर्मियों की सबसे बड़ी मांग है। चुनावी साल है तो सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि इस बार वो आर-पार का फैसला ले। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में सरकार ने शिक्षाकर्मियों को संविलियन कर लिया है। इससे भी रमन सरकार पर जल्द फैसला लेने के लिए प्रेशर बढ़ा है। ऊपर से शिक्षाकर्मी इस बार संविलियन से कम में मानने के लिए तैयार नहीं दिख रहे।
शिक्षा कर्मियों की ओर से बढ़े दबाव के बीच सरकार ने प्रमुख सचिव अजय सिंह की अगुवाई में एक हाईपावर कमेटी का गठन किया। जिसे नौ सूत्रीय मांगों पर विचार करना था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। और शुक्रवार को ये रिपोर्ट सरकार को सौंप भी दी गई है। सीएम का कहना है कि रिपोर्ट के मुताबिक जो भी बेहतर होगा। सरकार करने की कोशिश करेगी।
इधर शिक्षाकर्मी ये कह रहे हैं कि सरकार ने भले ही हाईपावर कमेटी बना दी पर उसमें संविलियन का एजेंडा उसने शामिल ही नहीं किया और संविलियन को छोड़कर दूसरी मांगें पूरी करने से वो इस बार नहीं मानने वाले, क्योंकि संविलियन हो गया तो उनकी सभी मांगें अपने आप ही पूरी हो जाएंगी कयास ये भी लग रहा है कि चुनावी साल है इसलिए सरकार ने संविलियन का मन बना लिया है और अच्छा समय देखकर सीएम इसकी घोषणा कर सकते हैं।
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दूसरी ओर शिक्षाकर्मी जल्द से जल्द फैसले की मांग कर रहे हैं। आगे की रणनीति के लिए उन्होंने शुक्रवार को राजधानी में एक मीटिंग भी की। अगले कुछ दिनों में वो संविलियन यात्रा निकालने की तैयारी भी कर रहे हैं। सरकार के लिए ये फैसला आसान नहीं है, क्योंकि संविलियन होते ही सातवां वेतनमान की बात आएगी..ऐसे में 8 साल से सीनियर शिक्षाकर्मियों को लाभ दिया जा सकता है। इस स्थिति में भी 1 लाख लोग लाभान्वित होंगे और इससे सरकारी ख़ज़ाने पर 2400 करोड़ से ज्यादा का भार आएगा। यानी प्रैक्टिकली सरकार के लिए ये फैसला आसान नहीं होगा पर दूसरी ओर ये भी सही है कि चुनावी लक्ष्य सामने हो तो ऐसे फैसले करने ही पड़ते हैं।
वेब डेस्क, IBC24

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