ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने युवाओं ने उठाया बीड़ा, निकाली बाइक रैली

ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने युवाओं ने उठाया बीड़ा, निकाली बाइक रैली

ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने युवाओं ने उठाया बीड़ा, निकाली बाइक रैली
Modified Date: November 29, 2022 / 08:02 pm IST
Published Date: August 18, 2018 10:38 am IST

 

धमधा। छत्तीसगढ़ के धमधा के युवाओं ने प्राचीन स्मारकों, महामाया मंदिर और तालाबों के सरंक्षण के लिए पुरखौती पर्यटन मोटरसाइकिल यात्रा का आयोजन किया। धर्मधाम गौरवगाथा समिति व्दारा आयोजित यह यात्रा धमधा के प्राचीन स्थलों से शुरू होकर प्राचीन शिव मंदिर सहसपुर, घुघुसराजा मंदिर देवकर, सीता मंदिर देवरबीजा से होते हुए सरदा के प्राचीन शिव मंदिर व महामाई मंदिर पहुंची। युवाओं ने इन स्थलों के प्राचीन मंदिरों का भ्रमण किया और देखा कि किस तरह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राज्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने वहां स्मारकों का संरक्षण किया है। पुरातत्ववेत्ताओं ने यात्रियों को मूर्ति, स्थापत्यकला और उनसे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी दी। 

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आपको बता दें कि 120 किलोमीटर की इस यात्रा में तकरीबन 100 मोटरसाइकिलों में डेढ सौ लोग सवार थे, जो सफेद टी-शर्ट पहने हुए थे, इसके पीछे धर्मधाम धमधा लिखा गया था। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग ने भी सहयोग प्रदान किया। इस यात्रा का उद्देश्य अपने प्राचीन स्मारकों, धरोहरों के साथ हो रहे आधुनिक छेड़छाड़ और उपेक्षा की ओर ध्यान दिलाना था। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर के सीनियर आर्कियोलाजिस्ट डॉ. शंभूनाथ यादव, राज्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के पुरातत्वविद् प्रभात सिंह सहित अन्य मौजूद थे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डॉ. यादव ने बताया कि देवरबीजा के मंदिर में विलक्षण नौवग्रहों की प्रतिमा का अंकन किया गया है। बीच में नदीं और शिव की प्रतिमा लगी है, इसे नंदिकेश्वर कहा जाता है। प्राचीन काल में यह शिवजी का मंदिर रहा होगा, जो अब सीता मंदिर के नाम से जाना जाता है। राज्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के प्रभात सिंह ने बताया कि पहले आज की तरह स्कूल या कालेज नहीं होते थे और शिक्षापद्धति में धर्म की प्रधानता होती थी, इसलिए मंदिरों में पौराणिक और सामाजिक आख्यानों का अंकन लोकशिक्षण के उद्देश्य से किया जाता था। उन्होंने बताया कि सरदा के शिव मंदिर में शिव के विविध स्वरूपों से संबंधित पौराणिक कथाओं का शिल्पांकन किया गया है, यह लगभग 1300 साल पहले निर्मित किया गया था। धमधा, सहसपुर और देवरबीजा के मंदिरों और मूर्तियों की निर्माण शैली में समानता देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्राचीन धरोहरों का संरक्षण करना चाहिए, लेकिन हम संरक्षण के नाम पर पेंट-पालिश, सीमेंट आदि से उसका विनाश कर देते हैं। मिनी अटल विकास शर्मा ने वाजपेयी जी की कविताओं का प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने कहा कि हमें यह पहले पत्थर की प्रतिमा लगती था, लेकिन पुरातत्वविदों ने इस विरासत से हमें परिचित कराया। हमें धमधा की विरासत और उसकी गौरवशाली पंरपरा से अवगत कराया। धमधा के युवाओं व्दारा अपने इतिहास और प्राचीनता को बचाए रखने के लिए किया गया यह प्रयास सराहनीय है। पूरे प्रदेश में यह अपने आप में नागरिकों व्दारा स्वस्फूर्त की गई पहली यात्रा है, जिसमें इतनी संख्या में रूचि लेकर लोग शामिल हुए। सलधा के रामायण प्रसाद तिवारी ने नाक से फूंककर बासुंरी बजाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

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इस यात्रा में महामाया का एक रथ भी तैयार किया गया था, जिससे धमधा के प्राचीन स्थलों का प्रचार-प्रसार किया गया। इस दौरान कई गांव के लोगों ने रथ की आरती उतारी। आए हुए अतिथियों को धमधा का प्रतीक वहां निर्मित कांसे का लोटा भेंट किया गया। यात्रा में रायपुर, दुर्ग, कुम्हारी, नंदिनीखुंदनी, सहगांव, डोमा, सोनेसोरार, सेमरिया, तुमाकला, केंवतरा, ओटेबंद, करंजा भिलाई सहित आसपास के गांव के लोग भी शामिल हुए।

 वेब डेस्क, IBC24


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