ग्वालियर। रियासतकालीन ऐतिहासिक गोपाल मंदिर राधा-कृष्ण का श्रृंगार जन्माष्टमी पर आकर्षण का केंद्र बना रहा। साल भर के इंतज़ार के बाद केवल जन्माष्टमी के दिन ही बेशकीमती अमूल्य गहनों से भगवान को सजाया जाता है। कड़ी सुरक्षा के बीच महापौर और नगर निगम सभापति और पार्षदों की मौजूदगी में भगवान का श्रृंगार किया गया और फिर मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। जिसने भी भगवान के इस रूप को देखा वो बस देखता ही रह गया।
ग्वालियर के मोतीमहल परिसर में मौजूद प्राचीन गोपाल मंदिर का आकर्षण जन्माष्टमी के दिन कुछ खास रहता है। सामान्य दिनों की तुलना में आज के दिन भगवान का रूप ज्यादा मनोहारी होता है। वजह है, भगवान का बेशकीमती गहनों से श्रृंगार। नगर निगम इस दिन रियासतकालीन करीब 10 करोड़ रूपए की कीमत वाले रत्न जड़ित गहनों से राधा कृष्ण का श्रृंगार करवाता है।
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सुबह कड़ी सुरक्षा में गहनों को बैंक से लाया गया। फिर महापौर, सभापति ओर निगम कमिश्नर ने पार्षदों के साथ मिलकर पंडितों की मौजूदगी में मंत्रोच्चार के साथ भगवान का अभिषेक किया और श्रृंगार किया। बताया गया कि 2007 से प्रतिवर्ष कृष्ण गोपाल ओर राधा रानी का श्रृंगार इस तरह से किया जाता है। यह सिंधिया घराने का मंदिर है, लेकिन नगर निगम को हैंडओवर हुआ था।
भगवान में आस्था रखने वाले श्रद्धालु सुबह से ही मनोहारी रूप के दर्शन करना चाहते थे। इसके लिए वे कई घंटे पहले से ही मंदिर परिसर में पहुँच गए थे और जैसे ही भगवान का श्रृंगार पूरा हुआ दर्शन करने पहुँच गए। दर्शन करने वालों में कहना था कि हमें दर्शन करना था, इसलिए इंतज़ार करना बुरा नहीं लगा और इनके दर्शनों के बाद मन को जो शांति मिली है उसे शब्दों में बता नहीं सकते।
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करीब 10 करोड़ रुपए के बेशकीमती हीरे जवाहरात जड़ित आभूषणों के श्रृंगार के कारण मंदिर और उसके आसपास पुलिस की सुरक्षा बहुत कड़ी थी। मंदिर की सुरक्षा में तीन डीएसपी स्तर के और पांच टीआई स्तर के अधिकारियों के साथ 200 जवान तैनात हैं।
वेब डेस्क, IBC24