दिव्यांग कर्मियों के आवागमन के लिए बीएमसी ने क्या कदम उठाए: अदालत

दिव्यांग कर्मियों के आवागमन के लिए बीएमसी ने क्या कदम उठाए: अदालत

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  • Publish Date - September 26, 2020 / 01:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:56 PM IST

मुंबई, 26 सितंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) से शनिवार को पूछा कि अपने दिव्यांग कर्मचारियों के लॉकडाउन के दौरान काम पर आने-जाने के लिए उनसे कोई बंदोबस्त किया या नहीं।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी ने नगर निकाय से पूछा कि वह यात्रा बंदोबस्त के अभाव में इन कर्मियों से काम पर आने की उम्मीद कैसे करती है।

पीठ नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड की जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया है कि बीएमसी अपने 268 दृष्टिबाधित कर्मियों को लॉकडाउन की अवधि के दौरान का पूरा वेतन नहीं दे रहा है।

याचिका में कहा गया कि बीएमसी ने शुरू में तो लॉकडाउन के दौरान अपने दिव्यांग कर्मियों को काम पर आने से छूट दी थी। इसमें कहा गया कि 21 मई को नगर निकाय ने एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें इन कर्मचारियों से कहा गया था कि वे वेतन में कटौती के बिना विशेष छुट्टी के हकदार हैं।

याचिका के अनुसार 26 मई को नगर निकाय ने एक अन्य सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया है कि उक्त छुट्टी विशेष नहीं बल्कि ‘अनुमेय अवकाश’ है जिसमें निकाय के नियमों के मुताबिक वेतन में कटौती होगी।

इस सर्कुलर के मुताबिक दिव्यांग कर्मियों को काम पर आने से छूट नहीं दी गई, हालांकि ‘अनुमेय अवकाश’ लेने की इजाजत दी गई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा, ‘‘आज के समय में लोग किसी से हाथ भी नहीं मिला रहे। दृष्टिबाधित व्यक्तियों को सड़क पार करते वक्त सहायता की जरूरत होती है, ट्रेन में चढ़ने तथा अन्य कार्यों में भी उन्हें मदद की दरकार होती है। उन्हें यात्रा में मदद देने के लिए कोई नहीं था ऐसे में वह अपने काम पर कैसे पहुंचते?’’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का संकल्प है कि लॉकडाउन के दौरान काम पर नहीं आ सकने वाले सरकारी कर्मियों को उनके वेतन से वंचित नहीं किया जा सकता है।

बीएमसी ने कहा कि उसके पास कुल 1,150 दिव्यांग कर्मी काम करते हैं जिनमें से 268 दृष्टिबाधित हैं तथा उनके लिए बस सेवा शुरू की गई है।

बीएमसी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार का सर्कुलर उसके लिए बाध्यकारी नहीं है।

अदालत याचिका पर फैसला शुक्रवार को सुनाएगी।

भाषा मानसी शाहिद

शाहिद