(8th Pay Commission Impact / Image Credit: IBC24 News Customize)
8th Pay Commission Impact: केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से न सिर्फ उनके वेतन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि इसका सकारात्मक असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिलेगा। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के अनुसार, इससे घरेलू कंजम्प्शन बढ़ेगा और बाजार में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी लौटेगी।
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने से उनकी खरीदारी बढ़ेगी। इससे कंपनियों की कमाई में सुधार होगा और भारतीय स्टॉक्स में विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ेगा। पिछले करीब एक साल से फॉरेन इनवेस्टर्स भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे थे, जिसका मुख्य कारण कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ थी।
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना देसाई की अगुवाई वाले आठवें वेतन आयोग ने काम शुरू कर दिया है। रिपोर्ट 18 महीनों के भीतर पेश होने की संभावना है। इसके बाद केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए सिफारिशों को लागू करेगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा है कि कर्मचारियों को 1 जनवरी 2026 से नई सैलरी और एरियर्स मिलेंगे।
जेपी मॉर्गन के अनुसार, 2008 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी लगभग 40% बढ़ी थी। इससे एरियर्स के रूप में अतिरिक्त पैसा मिला और कंजम्प्शन में तेजी आई। घर, गाड़ी और अन्य बड़ी वस्तुओं की बिक्री बढ़ी। वहीं, सातवें वेतन आयोग में बढ़ोतरी केवल 23-25% रही थी।
देश में 35 लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारी हैं। इसलिए आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर कंजम्प्शन पर बड़ा असर पड़ेगा। खासकर एरियर्स के कारण बड़ी खरीदारी होती है, जिससे ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट सेक्टर को लाभ होता है।
28 नवंबर को भारतीय शेयर बाजार मजबूती के साथ खुला, लेकिन दिन के दौरान बिकवाली का दबाव देखने को मिला। दोपहर 2:30 बजे निफ्टी 26,205 प्वाइंट्स पर था, जो 0.04% कमजोर था। 27 नवंबर को निफ्टी ने 26,277 के अपने ऑल-टाइम हाई को पार किया था, लेकिन मुनाफावसूली के कारण नीचे बंद हुआ।
नोट:- शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन होता है। शेयरों, म्यूचुअल फंड्स और अन्य वित्तीय साधनों की कीमतें बाजार की स्थितियों, आर्थिक परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर घट-बढ़ सकती हैं। इसमें पूंजी हानि की संभावना भी शामिल है। इस जानकारी का उद्देश्य केवल सामान्य जागरूकता बढ़ाना है और इसे निवेश या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।