हर हमले के बाद और मजबूत होकर उभरीं ममता बनर्जी, चोटों ने उनके राजनीतिक करियर को दिया आकार ?

हर हमले के बाद और मजबूत होकर उभरीं ममता बनर्जी, चोटों ने उनके राजनीतिक करियर को दिया आकार ?

हर हमले के बाद और मजबूत होकर उभरीं ममता बनर्जी, चोटों ने उनके राजनीतिक करियर को दिया आकार ?
Modified Date: November 29, 2022 / 07:50 pm IST
Published Date: March 12, 2021 5:26 am IST

कोलकाता, 12 मार्च (भाषा) ममता बनर्जी ने अपने कार्यों से अपनी छवि एक जुझारू नेता के तौर पर बनायी है। अपने चार दशक के राजनीतिक कॅरियर में चाहे उन पर हमले हुए हों या वह चोटिल हुई हों, हर बार वह अपने सार्वजनिक जीवन में मजबूती से उभरकर सामने आयी हैं। ऐसी घटनाओं के बाद जब-जब उन्होंने वापसी की तो वह अपने विरोधियों पर और मजबूती से हमलावर हुईं। अपनी राजनीतिक सूझबूझ और कार्यकर्ताओं के समर्थन से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो की छवि एक निडर योद्धा के तौर पर बनी है।

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वर्ष 1990 में माकपा के एक युवा नेता ने उनके सिर पर वार किया था जिसके चलते उन्हें पूरे महीने अस्पताल में बिताना पड़ा था, तब भी वह बेहद मजबूत नेता के तौर पर उभरीं। जुलाई 1993 में बनर्जी जब युवा कांग्रेस नेता थीं तब फोटो मतदाता पहचान पत्र की मांग को लेकर उस वक्त के सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग की ओर एक रैली का नेतृत्व करने के दौरान पुलिस ने उनकी पिटाई की थी। रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई थी जिसमें पुलिस की गोली लगने से युवा कांग्रेस के 14 कार्यकर्ताओं की मौत हो गयी थी और पुलिस की पिटाई से घायल बनर्जी को कई हफ्तों तक अस्पताल में बिताना पड़ा था।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री वर्तमान में अपने राजनीतिक कॅरियर के सबसे मुश्किल दौर का सामना कर रही हैं। नंदीग्राम सीट से नामांकन दाखिल करने के बाद बुधवार रात को उन पर कथित हमला हुआ था जिसके बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी। उनके पैर में चोट आयी है और वह अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। बनर्जी ने आरोप लगाया कि उस दिन उन पर चार-पांच लोगों ने हमला किया। इस बार की लड़ाई अहम है क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा चुनौती पेश कर रही है और लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के उनके रास्ते में रुकावट बन रही है।

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नंदीग्राम में उनका मुकाबला अपने पूर्व राजनीतिक समर्थक और अब भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से है। उनके राजनीतिक कॅरियर में नंदीग्राम की अहम भूमिका है, क्योंकि 2007 में किसानों के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन और पुलिस के साथ संघर्ष तथा हिंसा के बाद वह बड़ी नेता के तौर पर उभरी थीं। इसी आंदोलन की लहर से उन्होंने 2011 में वामपंथियों के सबसे लंबे शासन का अंत किया और पश्चिम बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के 34 साल के शासन को उखाड़ फेंका।

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तृणमूल नेता सौगत राय ने कहा, ‘‘ममता एक योद्धा है। आप उन पर जितना हमला करेंगे वह उतनी मजबूती से वापसी करेंगी।’’ भाजपा ने बनर्जी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह सिर्फ सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश कर रही हैं। पश्चिम बंगाल में भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बृहस्पतिवार को मामले में सीबीआई जांच की मांग की और कहा कि यह देखना जरूरी है कि कहीं यह सहानुभूति वोट बटोरने के लिए ‘‘नाटक’’ तो नहीं है क्योंकि राज्य के लोग पहले भी ऐसे नाटक देख चुके हैं। कांग्रेस ने भी नंदीग्राम में बनर्जी पर हमले को लेकर उनकी आलोचना की। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को बनर्जी पर विधानसभा चुनाव में वोट के लिए सहानुभूति बटोरने का आरोप लगाया।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम में बुधवार शाम को आरोप लगाया था कि उनको चार या पांच लोगों ने धक्का दिया है, इसके बाद उन्हें कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां पर उनके कंधे, गर्दन और टांग में चोट का पता चला था, इसके बाद गुरुवार को उनकी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने कोलकाता में चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया जिसमें कहा गया था कि राज्य के पुलिस प्रमुख को हटाने के बाद उन पर कथित हमला हुआ और चुनाव आयोग मुख्यमंत्री की रक्षा करने में नाकाम रहा। टीएमसी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया था कि उसने केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के दबाव में पुलिस प्रमुख को हटाया था। चुनाव आयोग ने बयान जारी करके इन आरोपों की कड़ी निंदा की है।

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आयोग ने बयान में एक पार्टी के दबाव में पुलिस प्रमुख को हटाने के आरोप पर कहा कि इस पर टिप्पणी करना अशोभनीय होगा, बयान में कहा गया है कि यह कहना भी ‘पूरी तरह ग़लत है’ कि उसने चुनाव कराने के नाम पर राज्य की क़ानून-व्यवस्था को अपने हाथों में ले लिया है। इसके साथ ही आयोग ने कहा कि यह आरोप लोकतांत्रिक राजनीति के सबसे पवित्र दस्तावेज़ यानी भारतीय संविधान की नींव को कमज़ोर करने के समान है। चुनाव आयोग ने राज्य के पुलिस प्रमुख डीजीपी वीरेंद्र को हटाने के फ़ैसले का बचाव करते हुए मुख्यमंत्री बनर्जी के साथ हुई घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए कहा कि इसकी तेज़ी से जांच होनी चाहिए।

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वहीं, गुरुवार को मुख्यमंत्री बनर्जी पर हुए कथित हमले की जाँच शुरु कर दी गई, पूर्व मेदिनीपुर के ज़िलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने नंदीग्राम के बिरुलिया बाज़ार में उस जगह का दौरा किया जहाँ कथित तौर पर कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें धक्का दिया, दिन में ममता बनर्जी ने अस्पताल से एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। ममता बनर्जी कहा- “मुझे हाथ, पैर और लिगामेंट में चोटें लगी हैं, मैं कार के पास खड़ी थी जब मुझे कल धक्का दिया गया था, मैं जल्द ही कोलकाता के लिए रवाना हो जाऊंगी।”

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ममता बनर्जी ने बुधवार को पूर्व मेदिनीपुर ज़िले की नंदीग्राम सीट से अपना नामांकन दाख़िल करने के बाद अपने ऊपर हमला होने का आरोप लगाया था, उन्होंने बताया कि चार या पांच लोगों ने उन्हें तब धक्का दिया जब उनके साथ पुलिसकर्मी नहीं थे, उन्होंने बताया कि जब वो मंदिर से लौटकर कार में जा रही थीं तब चार या पांच आदमियों ने उन्हें धक्का दिया, उन्होंने बताया कि उन लोगों ने कार के दरवाज़े को धक्का दिया और उनका पैर कार के दरवाज़े में फंस गया और इस दौरान उनके घुटने और टख़ने में चोट आई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “यह एक साज़िश है, उस वक़्त प्रशासन का कोई व्यक्ति मेरी रक्षा के लिए वहां नहीं था, वे वास्तव में मुझे चोट पहुंचाने आए थे, मैंने अभी कोलकाता वापस लौटने का फ़ैसला किया है।”

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विपक्ष ने ममता के साज़िश के आरोप को ख़ारिज करते हुए पूछा है कि आख़िर ज़ेड प्लस सुरक्षा घेरे में कैसे बाहरी लोग घुस गए, राज्य के बीजेपी उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह ने कहा कि ममता इसी बहाने सहानुभूति पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस और सीपीएम ने इसे ‘सियासी पाखंड’ क़रार दिया है, पश्चिम बंगाल से आने वाले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने हमले की ख़बर के बाद कहा, “नंदीग्राम में चुनावी मुश्किलों को भांपते हुए चुनावों से पहले उन्होंने इस ‘नौटंकी’ की योजना बनाई है, सीएम के अलावा वो पुलिसमंत्री भी हैं, क्या आप सोच सकते हैं कि पुलिसमंत्री के पास पुलिस ना हो?” वहीं सीपीएम के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम ने लिखा है – “बिल्कुल साफ़ है, ये एक ड्रामा है।”

 

 


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