अखिलेश के चाचा थे, हैं और रहेंगे : शिवपाल |

अखिलेश के चाचा थे, हैं और रहेंगे : शिवपाल

अखिलेश के चाचा थे, हैं और रहेंगे : शिवपाल

:   Modified Date:  February 9, 2024 / 09:43 PM IST, Published Date : February 9, 2024/9:43 pm IST

लखनऊ, नौ फरवरी (भाषा) उत्‍तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ सदस्य शिवपाल सिंह यादव ने शुक्रवार को बजट पर चर्चा के दौरान मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘हम अखिलेश के चाचा थे, हैं और रहेंगे।’

वहीं सत्ता पक्ष के सदस्यों ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि पिछली सरकारों में उप्र बीमारू राज्यों की श्रेणी में था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की डबल इंजन की सरकार ने इसका स्वरूप बदल दिया है।

उत्‍तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने सोमवार, पांच फरवरी को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 का सात लाख 36 हजार 437 करोड़ रुपये का प्रस्‍तावित बजट पेश किया था।

शुक्रवार को विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि ”नेता सदन (मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ) को कभी-कभी हमारी चिंता हो जाती है। लगता है कि वह ‘चाचा-परिचर्चा’ कर रहे हैं।”

उन्‍होंने कहा कि ”अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि चाचा पीडीए के थे, हैं और रहेंगे। खांटी समाजवादी थे, हैं और रहेंगे। अखिलेश के चाचा थे, हैं और रहेंगे।”

हालांकि जब यादव बजट पर चर्चा कर रहे थे, तब सदन में योगी आदित्यनाथ मौजूद नहीं थे। अखिलेश यादव जरूर उनकी बातों पर मुस्‍कुरा रहे थे।

मुख्‍यमंत्री अक्सर सदन में अपने संबोधन के दौरान शिवपाल सिंह यादव की चर्चा करते हैं और अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहते हैं कि वे अपने चाचा का सम्मान नहीं करते।

वर्ष 2016 से मैनपुरी में पिछले वर्ष हुए लोकसभा उपचुनाव के दौरान तक सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच कई बार मनमुटाव हुए। ल‍ेकिन मैनपुरी उप चुनाव में शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का सपा में विलय कर अखिलेश यादव के साथ मजबूती के साथ आ गये।

यादव ने अपने संबोधन में कहा, ”जब फुटबॉल का कोई अच्छा खिलाड़ी मिलता तो गोल ठीक हो जाता। वित्‍त मंत्री जी, मैनपुरी में तो अंदाजा लग गया होगा।”

शिवपाल सिंह यादव ने बजट को धोखा करार देते हुए कहा कि प्रदेश के इतिहास का यह सबसे बड़ा बजट छलावा है।

उन्‍होंने कहा, ‘उप्र के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा बजट है लेकिन सिर्फ बड़ा होना अच्छी बात नहीं है। बजट को लाभकारी, समावेशी और प्रभावशाली होना चाहिए। यदि कबीर दास होते तो इस बजट की तुलना पिछले बजट के परिणामों से करते हुए कहते कि ”बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।”

उन्‍होंने बजट को बेकार बेमतलब बताते हुए एक शेर के माध्‍यम से कहा कि गरीब का दीपक अंधेरे में नहीं जल पा रहा है और वित्त मंत्री आंधियों में चिराग जला रहे हैं।

यादव ने कहा कि ”भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ, अच्छी बात है लेकिन राम मंदिर तो पड़ाव है। लक्ष्य राम राज्‍य की स्‍थापना होनी चाहिए। काश, आप पूरे प्रदेश को अयोध्‍या बनाने और पूरे प्रदेश में राम राज्य का ख्वाब देखने वाला बजट प्रस्तुत करते।”

उन्‍होंने दावा किया कि असली रामराज लाने में यह सरकार पूर्णतया: विफल है। यादव ने कहा कि ”समाजवाद ही रामराज्य है, बिना समाजवाद के रामराज्य नहीं आ सकता।”

वहीं सत्‍ता पक्ष की वरिष्ठ सदस्य अनुपमा जायसवाल ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने अंत्योदय की परिकल्पना को साकार करते हुए किसानों के हित में अनेकों अनेक काम किये हैं।

उन्‍होंने एक कविता के जरिये कहा कि ”राम दवा हैं, रोग नहीं हैं, राम दया हैं क्रोध नहीं हैं।” उन्‍होंने कहा कि ”यह बजट राम को समर्पित है और इसमें रामराज्य की अवधारणा को धरती पर उतारते देखा जा सकता है।”

उन्‍होंने शिवपाल सिंह यादव को लक्ष्य करते हुए कहा कि ”यह बजट धोखा नहीं है, इसमें मौका ही मौका है।”

जायसवाल ने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा कि ”आप क्यों कहते हैं कि हम लोग ‘चाचा पर चर्चा’ करते हैं, यह तो किसी के लिए गौरव की बात है और मुख्‍यमंत्री जी समेत हम सभी लोग आपसे बहुत स्‍नेह रखते हैं।”

सत्ता पक्ष के ही पीयूष रंजन निषाद ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि पिछली सरकारों में उप्र बीमारू राज्यों की श्रेणी में था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की डबल इंजन की सरकार ने इसका स्वरूप बदल दिया है।

निषाद ने कहा कि ”यह बजट पंडित दीनदयाल उपाध्याय की परिकल्पना के अनुरूप है। यह गरीबों किसानों, नौजवानों, महिलाओं के सपनों को साकार करने वाला लोक कल्याणकारी बजट है।”

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य नवाब इकबाल महमूद ने कहा कि हम धर्म के विरोधी नहीं हैं, जिस तरह अल्लाह को मानते हैं, उसी तरह अयोध्‍या का भी सम्मान करते हैं।

उन्‍होंने कहा कि अयोध्‍या में जो मंदिर बना है उसका श्रेय किसी व्यक्ति को नहीं उच्चतम न्यायालय को जाता है। उन्‍होंने सत्‍ता पक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी राजनीति सिर्फ इसी पर चलती है कि जितना अल्पसंख्यकों का विरोध करेंगे, उतना वोट बढ़ेगा। आप हमें उकसाते हैं कि हम विरोध करें लेकिन हम तो यहीं रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि घृणा की राजनीति बंद करें।

भाजपा की अर्चना पांडेय, निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के विवेकानंद पांडेय और रामचंद्र यादव ने बजट की सराहना की। बजट परिचर्चा में सत्‍ता पक्ष और विपक्ष के अनेक सदस्यों ने अपने विचार रखे।

विधानसभा शुक्रवार को रात क़रीब नौ बजे तक संचालित हुआ। अध्यक्ष सतीश महाना ने शनिवार सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित करने की घोषणा की।

भाषा आनन्द

रंजन

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