सभी संवैधानिक संस्थानों को संविधान की भावना के अनुसार काम करना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत

सभी संवैधानिक संस्थानों को संविधान की भावना के अनुसार काम करना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत

सभी संवैधानिक संस्थानों को संविधान की भावना के अनुसार काम करना चाहिए: प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत
Modified Date: December 20, 2025 / 09:19 pm IST
Published Date: December 20, 2025 9:19 pm IST

इटावा, 20 दिसंबर (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने शनिवार को कहा कि सभी संवैधानिक संस्थानों को संविधान की भावना के अनुसार काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि न्यायिक प्रक्रियाएं और अदालती फैसले नागरिकों को उनकी अपनी भाषाओं में उपलब्ध हों।

प्रधान न्यायाधीश ने यहां इस्लामिया कॉलेज परिसर में हिंदी सेवा निधि ट्रस्ट के 33वें वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह उम्मीद है कि भाषा से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों को पूरे देश में लागू किया जाएगा।

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उन्होंने कहा, “कोशिश यह होगी कि अदालती कार्यवाही चाहे वह लिखना हो, बोलना हो, बहस हो या फैसले हों, लोगों की भाषाओं में उपलब्ध हों।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि उच्च्तम न्यायालय इस मुद्दे पर ‘बहुत सतर्क’ है।

उन्होंने कहा कि संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के अनुसार अंग्रेजी शीर्ष अदालत की आधिकारिक भाषा बनी हुई है लेकिन भाषा के अंतर को पाटने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण कदम उठाए जा चुके हैं।

न्यायमूर्ति ने कहा, “हमने पहले ही उच्च्तम न्यायालय के फैसलों का 16 भाषाओं में अनुवाद करना शुरू कर दिया है ताकि देश का कोई भी नागरिक अपने राज्य की भाषा में एक प्रामाणिक अनुवादित प्रति पढ़ सके।”

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई)-आधारित एप्लिकेशन सहित आधुनिक उपकरण एक बड़ा सहारा साबित हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, “अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो प्रौद्योगिकी पूरी कानूनी प्रक्रिया को समझाने और लोगों को उनकी अपनी भाषा में जानकारी देने में मदद कर सकती है।”

भाषा सं चंदन जफर जितेंद्र

जितेंद्र


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