अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने युवाओं से वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटने का आग्रह किया

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने युवाओं से वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटने का आग्रह किया

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने युवाओं से वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटने का आग्रह किया
Modified Date: November 22, 2025 / 10:26 pm IST
Published Date: November 22, 2025 10:26 pm IST

लखनऊ, 22 नवंबर (भाषा) अंतरिक्ष यात्री एवं वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने शनिवार को युवाओं से जलवायु परिवर्तन जैसी साझा वैश्विक चुनौतियों निटपने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

शुक्ला ने कहा कि पृथ्वी से बाहर यात्रा करने पर यह गहरा एहसास होता है कि ‘‘यह आपका ग्रह है, यह आपका घर है-और कहीं जाने की जगह नहीं है।’’

यहां अपने पुराने स्कूल सिटी मोंटेसरी स्कूल में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 26वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने का अनुभव व्यक्ति को बदल देता है।

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उन्होंने बताया, ‘‘यह किसी क्षेत्र या शहर की बात नहीं है, यह पूरे ग्रह की बात है जो आपका घर है। एक जगह पर जो कुछ भी होता है, भले ही हम उसे प्रत्यक्ष रूप से न देख पाएं, वह कुछ महीनों या एक साल बाद हमें प्रभावित करेगा। यह एहसास बहुत गहरा हो जाता है और आप एक बदले हुए व्यक्ति के रूप में वापस आते हैं।’’

शुक्ला ने इस बात पर बल दिया कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है, जिसके लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इसे समझना होगा और इसकी रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे तथा जो हो रहा है उसे रोकना होगा।’’

उन्होंने यह उदाहरण देते हुए बताया कि 2000 के दशक की शुरुआत में दक्षिण कोरिया, अमेरिका और यूरोप में थायराइड कैंसर के मामलों में वृद्धि हुई थी।

शुक्ला ने कहा, ‘‘लोग हैरान थे कि यह इतनी तेजी से क्यों हो रहा है। लेकिन हुआ यह कि हमारे पास सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जैसी मशीनें थीं, जिनसे इसका निदान किया जा सकता था। थायराइड कैंसर अपने आप नहीं बढ़ रहा था, बल्कि हम इसे पता लगाने लगे थे।’’

उन्होंने कहा कि 1950 और 1960 के दशक में अंतरिक्ष अन्वेषण शुरू होने पर भी ऐसा ही बदलाव आया। उन्होंने कहा कि उपग्रहों ने ठोस आंकड़े उपलब्ध कराए कि जलवायु परिवर्तन केवल स्थानीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर हो रहा है।

शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय न्यायविदों और छात्रों से कहा कि आज सबसे बड़ी चुनौती जागरुकता का अभाव नहीं, बल्कि लोगों को समाधानों पर सहमत कराना है। उन्होंने युवाओं से वैश्विक ढांचा बनाने का साहसपूर्वक आग्रह किया, जिससे दुनिया भर की सरकारें और नागरिक मिलकर समाधान पर सहमत हो सकें।

उन्होंने अंतरिक्ष गतिविधियों के तेजी से विस्तार और नयी चुनौतियों पर भी ध्यान दिलाया।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगभग 13,000 उपग्रह काम कर रहे हैं और इसे 35,000–40,000 तक बढ़ाने की योजना है। यह केवल लोअर अर्थ ऑर्बिट (2,000 किलोमीटर तक) के लिए है, और भविष्य में और भी व्यापक गतिविधियां होंगी।

पिछली गलतियों को दोहराने से बचाने के लिए आग्रह करते हुए शुक्ला ने कहा, ‘‘हम समस्या को समझते हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि भविष्य में इसका क्या असर होगा।’’

उन्होंने छात्रों से कहा कि आगे आने वाली चुनौतियां केवल तकनीकी नहीं हैं, बल्कि नैतिक भी होंगी, और यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे इसे समझें।

अंतरिक्ष यात्री ने कहा, ‘‘मुद्दों को गहराई से पढ़ना और समझना शुरू करें। यह आपका ग्रह है, आपका भविष्य है। वैश्विक स्तर पर जिन समस्याओं का हम सामना कर रहे हैं, उनके प्रति सही सोच के साथ मैदान में उतरें।’’

उन्होंने श्रोताओं, विशेषकर युवाओं से वैश्विक चिंताओं को दूर करने और सामूहिक समाधान खोजने में सक्रिय भागीदार बनने का आह्वान किया।

भाषा किशोर जफर खारी

खारी


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