लखनऊ, 25 अक्टूबर (भाषा) बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों में गैर मान्यताप्राप्त मदरसों को नोटिस भेजे जाने पर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे ‘‘अवैध’’ कार्रवाई बताया है।
बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने बुधवार को एक बयान जारी कर बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मुजफ्फरनगर, अमेठी और कौशांबी समेत कई जिलों में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को नोटिस भेजे जाने और उनके संचालन के आधार के बारे में पूछे जाने का विरोध किया है।
उन्होंने कहा कि मदरसों के निरीक्षण का अधिकार सिर्फ अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को है और बेसिक शिक्षा विभाग की दखलंदाजी से मदरसों में असहजतापूर्ण स्थिति पैदा हो रही है।
मुजफ्फरनगर में बेसिक शिक्षा विभाग ने हाल ही में कुछ शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए लगभग 12 गैर मान्यताप्राप्त मदरसों को नोटिस भेजकर उनसे पूछा है कि आखिर बिना पंजीकरण कराए वे किस आधार पर संस्थान संचालित कर रहे हैं। नोटिस में यह भी कहा गया है कि अगर मदरसे जवाब नहीं देते हैं तो उन पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष जावेद ने इस नोटिस को ‘‘अवैध’’ करार देते हुए कहा, ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004/विनियमवाली 2016 में दी गयी व्यवस्था के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा न तो निरीक्षण किया जाएगा और न ही किसी प्रकार का नोटिस दिया जाएगा।’
उन्होंने कहा कि सिर्फ मुजफ्फरनगर ही नहीं बल्कि अमेठी, कौशांबी और श्रावस्ती समेत कई जिलों में ऐसे मामले सामने आए हैं जब बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सक्षम अधिकारी नहीं होने के बावजूद नियमों से हटकर मदरसों को नोटिस जारी किए हैं तथा कई मदरसों का निरीक्षण भी किया है जो गैरकानूनी है।
जावेद ने कहा कि वर्ष 1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के गठन के बाद मदरसों का सारा काम अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया है और ऐसे में अन्य विभागों की दखलअंदाजी गलत है।
भाषा सलीम नरेश नेत्रपाल
नेत्रपाल
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