डी फार्मा कोर्स चलाने के लिए फार्मेसी कालेजों को प्राप्त एनओसी को रद्द करने का आदेश गलत:अदालत |

डी फार्मा कोर्स चलाने के लिए फार्मेसी कालेजों को प्राप्त एनओसी को रद्द करने का आदेश गलत:अदालत

डी फार्मा कोर्स चलाने के लिए फार्मेसी कालेजों को प्राप्त एनओसी को रद्द करने का आदेश गलत:अदालत

:   September 25, 2023 / 10:06 PM IST

लखनऊ, 25 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के करीब 301 फार्मेसी कालेजों को राहत प्रदान करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को उन्हें शैक्षिक सत्र 2022-23 में डी फार्मा कोर्स चलाने के लिए दी गयी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) को रद्द करने के तकनीकी शिक्षा बोर्ड के निर्णय को खारिज कर दिया है।

अदालत ने कहा कि बोर्ड या सरकार को यह अधिकार नहीं है अपितु यह अधिकार ‘फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया’ में निहित है। अदालत ने सरकार और बोर्ड को यह छूट दी है कि इस विषय में नियमानुसार फिर से वह कार्यवाही कर सकता है।

अदालत ने काउंसिल से भी आशा प्रकट की हैै कि यदि सरकार या बोर्ड उसके सामने इस विषय से जुड़ा मसला लाता है तो उस पर वह जल्द से जल्द निर्णय ले ।

यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने 301 फार्मेसी कॉलेजों की ओर से अलग -अलग दाखिल रिट याचिकाओं को एक साथ निस्तारित करते हुए पारित किया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एनओसी रद्द करने से पहले सरकार या बोर्ड ने याची फार्मेसी कॉलेज को सुनवायी का कोई मौका भी नहीं दिया जिससे वे बता सकते कि उनके कालेज में कोई अनियमितता है या नहीं।

दरअसल 2022-23 शैक्षिक सत्र में डी फार्मा कोर्स चलाने के लिए सरकार ने इन कालेजों को इस शर्त के साथ एनओसी दी थी कि यदि जांच में एनओसी पाने के लिए दिये गये दस्तावेज गलत पाये जाते हैं तेा उनकी एनओसी स्वतः रद्द मान ली जायेगी ।

सरकारी अधिवक्ता का तर्क था कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने जिलाधिकारियेां को 23 मार्च 2023 और 3 अप्रैल 2023 को दो पत्र भेजे थे। इनके अनुपालन में जिलाधिकारियेां ने हर जिले में तीन सदस्यीय एक समिति बनाकर एनओसी के लिए दिये गये प्रपत्रों की जांच का कार्य उन्हें सौंप दिया।

समिति ने जांच में प्रपत्रों में कुछ विसंगतियां और कमियां पायी जिसकी रिपोर्ट उन्होंने जिलाधिकारियों को दे दी। जिलाधिकारियों ने यह रिपोर्ट शासन को भेज दी । उस पर शासन ने 17 मई को बोर्ड केा निर्देश दिया और बोर्ड ने 18 मई को याची कालेजों को दी गयी एनओसी को रद कर दिया।

बोर्ड के इसी आदेश को विभिन्न फार्मेसी कॉलेजों ने रिट याचिका के माध्यम से अदालत में चुनौती देकर कहा था कि बोर्ड को एनओसी रद्द करने का अधिकार नहीं था ।

यह भी तर्क दिया कि उन्हें सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया था जिससे वे स्पष्ट कर पाते कि एनओसी के लिए दिये गये प्रपत्रों में कई विसंगतियां और कमियां नहीं थीं।

भाषा सं जफर राजकुमार

 

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