फर्जी पासपोर्ट मामले में माफिया सरगना अबू सलेम को तीन साल कारावास |

फर्जी पासपोर्ट मामले में माफिया सरगना अबू सलेम को तीन साल कारावास

फर्जी पासपोर्ट मामले में माफिया सरगना अबू सलेम को तीन साल कारावास

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : September 27, 2022/9:54 pm IST

लखनऊ, 27 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पासपोर्ट कार्यालय से माफिया डॉन अबू सलेम व उसकी पत्नी समीरा जुमानी का फर्जी पासपोर्ट बनवाने के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को अबू सलेम व उसके साथी परवेज आलम को तीन-तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।

इसके साथ ही न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा की अदालत ने अबू सलेम पर 10 हजार रुपये और परवेज आलम पर 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कहा कि अभियुक्तों को दी गई सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी और यदि उनके द्वारा कोई अवधि जेल में बिताई गई है तो वह इस सजा में समायोजित की जाएगी।

सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक द्वारा अदालत को बताया गया कि वर्ष 1993 में मुंबई बम विस्फोट के बाद जांच के दौरान यह बात सामने आयी थी कि अबू सलेम ने अपनी पत्नी समीरा जुमानी व आजमगढ़ के मोहम्मद परवेज आलम के साथ मिलकर एक साजिश के तहत कपटपूर्ण तरीके से अबू सलेम व समीरा जुबानी के वास्तविक निवास व पहचान को छिपाकर पासपोर्ट बनवाया था ताकि वह खुद को बचाने के लिए देश के बाहर भाग सके।

विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को यह भी बताया की मोहम्मद परवेज आलम ने 15 जून 1993 को अबू सलेम व उसकी पत्नी समीरा जुमानी के लिए लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय में आवेदन किया था। उन्होंने बताया कि इस आवेदन पत्र को परवेज आलम ने खुद भरा था। उन्होंने अदालत को बताया कि इसमें अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और समीरा जुमानी के लिए दूसरे फर्जी नाम अकील अहमद आज़मी तथा सबीना आज़मी के नाम से फर्जी प्रविष्टि की गई। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों के पिता का नाम भी फर्जी भरा गया। उन्होंने अदालत को बताया कि सबीना आज़मी की जन्मतिथि 25 अप्रैल 1974 के स्थान पर 17 जुलाई 1971 दर्ज कराई गई।

इस धोखाधड़ी की रिपोर्ट सीबीआई के विशेष कार्य बल, नयी दिल्ली द्वारा 16 अक्टूबर 1997 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी एवं अन्य के विरुद्ध दर्ज की गई थी।

अदालत को यह भी बताया गया कि आवेदन फॉर्म के साथ लगाए गए फर्जी प्रपत्रों के सत्यापन के लिए सभी अभियुक्तों ने एक आपराधिक षड्यंत्र के तहत 29 जून 1993 को वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आजमगढ़ के फर्जी हस्ताक्षर से एक रिपोर्ट तैयार की जिसे लखनऊ पासपोर्ट ऑफिस की पत्रावली में लगा दिया गया।

अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के समय आरोपी अबू सलेम नवी मुंबई की तलोजा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुआ। इस मामले में अबू सलेम जमानत पर था, लेकिन अन्य मामले में जेल में होने के कारण उसे वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सजा सुनाई गई।

वहीं दूसरी ओर मोहम्मद परवेज आलम भौतिक रूप से अदालत में पेश हुआ और उसके द्वारा कम से कम सजा दिए जाने का अनुरोध किया गया। सजा सुनाए जाने के बाद परवेज आलम की ओर से अंतरिम जमानत प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करके कहा गया कि उसे अदालत के निर्णय के विरुद्ध सत्र अदालत में अपील दाखिल करनी है, लिहाजा उसे अपील दायर करने की अवधि तक के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाए।

अदालत ने आरोपी मोहम्मद परवेज आलम की अर्जी को स्वीकार करते हुए उसे 20 -20 हजार रुपये की दो जमानतें प्रस्तुत करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया।

भाषा सं जफर रंजन अमित

अमित

 

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