लखनऊ, 29 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य होने के नाते प्रदेश सरकार को समान पदों पर बैठे कर्मियों के साथ समान व्यवहार करते हुए निष्पक्ष रूप से काम करना चाहिए।
पीठ ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में प्रतिनियुक्ति पर कार्यभार ग्रहण करने के लिये एक अधिशासी अभियंता को अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) जारी करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने 18 जुलाई को अधिशासी अभियंता मोहम्मद फिरदौस रहमानी द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया।
पीठ ने कहा, “समान परिस्थितियों में अधिशासी अभियंता सुधीर कुमार भारद्वाज को एनओसी प्रदान की गयी जबकि याचिकाकर्ता रहमानी को समान लाभ से वंचित किया गया। यह जाहिर तौर पर भेदभावपूर्ण व मनमाना फैसला है और यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन भी है।”
याचिकाकर्ता ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव से एनओसी जारी करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन विभाग में अधिशासी अभियंताओं की कमी के आधार पर उन्हें एनओसी देने से इनकार कर दिया गया।
पीठ ने विभाग द्वारा दिए गए कारण पर कहा, “यह समझ से परे है कि भारद्वाज को प्रतिनियुक्ति पर बने रहने के लिए सेवा विस्तार क्यों दिया गया जबकि विभाग अभियंताओं की खासी कमी से जूझ रहा था।”
पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता रहमानी का मामला भारद्वाज के मामले जैसा ही था और इसलिए उन्हें एनओसी देने से इनकार करना भेदभावपूर्ण है।”
उच्च न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को आदेश मिलने के 10 दिनों के भीतर एनओसी जारी करें ताकि वह प्राधिकरण में उपमहाप्रबंधक (तकनीकी) के पद पर कार्यभार ग्रहण कर सके।
भाषा सं. सलीम जितेंद्र
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