लखनऊ, 25 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमती नदी के किनारे कभी कूड़े के विशाल ढेरों का स्थल रहा मैदान अब ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ के तौर पर एक हरे-भरे स्मारक परिसर में तब्दील हो गया है। माना जा रहा है कि यह उत्तर प्रदेश की राजधानी का एक नया आकर्षण बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया। इस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा लगभग 230 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल दुबग्गा के बसंत कुंज योजना क्षेत्र में गोमती नदी के किनारे 65 एकड़ इलाके में फैला हुआ है।
एलडीए के अधिकारियों ने बताया कि इस जगह पर पहले लगभग 6.5 लाख मीट्रिक टन कचरा जमा था और इसे प्रेरणा स्थल का निर्माण शुरू होने से पहले वैज्ञानिक तरीके से प्रसंस्कृत करके साफ किया गया था।
उन्होंने बताया कि पारिस्थितिकी बहाली के हिस्से के तौर पर पूरे परिसर में मियावाकी तकनीक का उपयोग करके लगभग 50 हजार पेड़ लगाए गये। इससे कभी कूड़े के बड़े-बड़े ढेरों से भरे स्थल को सार्वजनिक उपयोग, चिंतन और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए एक हरे क्षेत्र में तब्दील कर दिया गया।
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बृहस्पतिवार को स्मारक के संग्रहालय में प्रधानमंत्री मोदी को राष्ट्र प्रेरणा स्थल के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि यह परिसर सोमवार से जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
कुमार ने बताया कि राष्ट्र प्रेरणा स्थल में प्रवेश के लिए टिकट लगेगा।
अधिकारियों के मुताबिक, राष्ट्र प्रेरणा स्थल परिसर के केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65-65 फुट ऊंची कांस्य की प्रतिमाएं लगायी गयी हैं।
लोगों का ध्यान खींचने वाली ये विशाल प्रतिमाएं इस जगह को उन नेताओं को समर्पित स्मारक के रूप में चिह्नित करती हैं जिनके विचारों ने आधुनिक भारतीय राजनीतिक सोच को आकार दिया।
कुमार ने बताया कि इस स्मारक में 6,300 वर्ग मीटर में फैला एक संग्रहालय भी है, जिसे डिजिटल और इमर्सिव फॉर्मेट के माध्यम से आगंतुकों को तीनों नेताओं के जीवन, संघर्षों और दर्शन से परिचित कराने के लिए डिजाइन किया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, इस संग्रहालय में मुखर्जी, उपाध्याय और वाजपेयी के सार्वजनिक जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाने के लिए दृश्यमान किस्सागोई और संवादात्मक डिस्प्ले का इस्तेमाल किया गया है।
संग्रहालय के एक खंड में वाजपेयी के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल को दिखाया गया है। इसमें पोखरण परमाणु परीक्षण और उसके बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के घटनाक्रम के साथ-साथ सर्व शिक्षा अभियान जैसी कल्याणकारी योजनाओं का प्रदर्शन शामिल हैं।
वर्ष 1975 में देश में लगाये गये आपातकाल और ‘नए भारत’ के उदय से जुड़े अहम पड़ावों को भी अलग-अलग वीथिकाओं में प्रदर्शित किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि संग्रहालय में वाजपेयी की कविता, उपाध्याय के अंत्योदय और एकात्म मानववाद के दर्शन, और मुखर्जी के जम्मू -कश्मीर से जुड़े राजनीतिक आंदोलन और सत्याग्रह से संबंधित सामग्री भी है।
संग्रहालय के साथ-साथ राष्ट्र प्रेरणा स्थल को एक बड़े सार्वजनिक स्थल के तौर पर भी तैयार किया गया है, जहां सांस्कृतिक और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
इस परिसर में लगभग तीन हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक शानदार एम्फीथिएटर, ओपन-एयर थिएटर, बहुउद्देश्यीय सभाकक्ष, एक रैली स्थल, एक ध्यान कक्ष और एक पुस्तकालय शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्र प्रेरणा स्थल में दो लाख तक पर्यटक आ सकते हैं और इसमें बगीचे, सजावटी द्वार, रास्ते, पार्किंग क्षेत्र, एक कैफेटेरिया, झंडा फहराने की जगह और तीन हेलीपैड जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं।
उन्होंने बताया कि नदी के किनारे एक शांत माहौल के तौर पर डिजाइन किए गए इस स्मारक का मकसद विचारधारा, इतिहास और पर्यावरण का संगम पेश करना है।
अधिकारियों के अनुसार शहर के लोग भी इस नई ऐतिहासिक जगह को लेकर उत्साहित थे क्योंकि यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल एक ऐसी जगह बन रहा है जहां पहले कभी कूड़े के बड़े-बड़े ढेर लगे होते थे।
भाषा सलीम नोमान
नोमान