Maha kumbh Viral M.Tech Baba: IITian बाबा के बाद अब M.Tech बाबा.. 400 कर्मचारी के थे बॉस, छोड़ दी लाखों की सैलरी वाली नौकरी, जानें क्यों चुना अध्यात्म का राह?

IITian बाबा के बाद अब M.Tech बाबा.. Maha Kumbh Latest News: A person who did M.Tech left a good paying job to become Baba

Maha kumbh Viral M.Tech Baba: IITian बाबा के बाद अब M.Tech बाबा.. 400 कर्मचारी के थे बॉस, छोड़ दी लाखों की सैलरी वाली नौकरी, जानें क्यों चुना अध्यात्म का राह?
Modified Date: January 21, 2025 / 01:27 pm IST
Published Date: January 21, 2025 1:27 pm IST

महाकुंभ नगरः Mahakumbh Viral Mtech Baba उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इन दिनों कुंभ मेला चल रहा है। यहां आस्था के अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं। महाकुंभ में कई तरह के बाबा भी पहुंचे हैं, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं। आईआईटी बाबा के बाद अब एमटेक बाबा सामने आए हैं। एक समय था जब बाबा की टीम में 400 लोग काम करते थे आज बाबा नागा साधु की तरह जीवन जी रहे हैं। इनकी सैलरी व पद जान आपके होश उड़ जाएंगे। तो चलिए जानते हैं कि आखिर एमटेक बाबा कौन हैंः-

Read More : Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा, इन युवाओं को 15 हजार रुपए, भाजपा ने दिल्ली की जनता से किए ये बड़े वादे 

Mahakumbh Viral Mtech Baba एमटेक बाबा का असली नाम दिगंबर कृष्ण गिरी है। दिगंबर कृष्ण गिरी का जन्म एक तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एमटेक की पढ़ाई की। पढ़ाई में अव्वल रहने के कारण उन्हें नामी कंपनियों में काम करने का मौका मिला। उनका सालाना पैकेज 40 लाख रुपये था। उनकी महीने की तनख्वाह 3.2 लाख रुपये थी, लेकिन उन्होंने इस सब को छोड़कर साधु जीवन अपनाने का फैसला किया। वे अब निरंजनी अखाड़े में शामिल होकर नागा साधु बन गए हैं।

 ⁠

Read More : RSSB Exam New Dress Code: प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए जारी हुआ अजीबोगरीब फरमान, अब इस ड्रेस कोड में ही एग्जाम सेंटर में मिलेगी एंट्री

एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए एमटेक बाबा ने अपने जीवन से जुड़ी कई बातें बताईं। उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों को मेल करके मैंने उनसे जुड़ने की इच्छा जताई थी। लेकिन किसी की ओर से कोई जवाब नहीं आया। हरिद्वार गया तो वहां पर मेरा पास जो कुछ भी था उसे हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित कर दिया। साधु का वेश धारण कर दस दिनों तक भीख मांगी। मेरा मानना था कि ज्यादा पैसा होने से आदतें खराब हो जाती हैं और दिमाग को शांति नहीं मिल पाती। निरंजनी अखाड़ा को लेकर मैंने गूगल किया था। निरंजनी अखाड़ा जाकर मैंने महंत श्री राम रतन गिरी महाराज से दीक्षा दी। साल 2019 में आग लगने के कारण से 2021 में मैंने अल्मोड़ा छोड़ दिया। अभी उत्तरकाशी के एक छोटे से गांव में रहता हूं।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।